मीना की दुनिया(Meena Ki Duniya)-रेडियो प्रसारण एपिसोड 60 । कहानी का शीर्षक - "अभी मैं छोटा हूँ"
मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-60
दिनांक-16/12/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ ; समय-11:15am से 11:30am तक
आज की कहानी का शीर्षक- “अभी मैं छोटा हूँ”
मीना राजू से गाने की तैयारी करने को कहती है क्योकि उनके स्कूल में शुक्रवार को शिक्षा अधिकारी आने वाले है जिसमे मीना और पासा भईया एक युगल गीत (हम होंगे कामयाब.....) प्रस्तुत करना है।दीपू मीना को बताता है कि पाशा भईया ने सुनील के यहाँ गीत गाने को मना कर दिया है।
यहाँ पाशा अगले दो दिन स्कूल भी न आता जिससे मीना और परेशान हो जाती है तब मीना और उसके साथी पाशा से मिलने उसके घर जाने को सोचते है पर मुरली उन्हें जाने से मना करता है और बताता है कि वो किसी से न मिलेगा। मीना जब न मिलने का कारण पूंछती है तो वो ये कह कर बताने से मना कर देता है की ये हम लडको की बातें हैं जिन्हें हम अप लड़कियों या बच्चों को नहीं बता सकते।
मना करने के बाद भी शाम को मीना पाशा के घर जाती है वहाँ मीना और उसके दोस्तों की मुलाकात पाशा की माँ से होती है। माँ बताती है कि पता न मीना, उसे क्या हो गया है ? वह कुछ दिनों से न तो किसी से बात करता है न ही घर से बहार निकलता है, हर वक्त बस गौशाला में छुपा रहता है। पाशा की माँ फिर कहती है कि अब तुम लोग ही समझा सकते हो शायद तुम लोगों के बुलाने से वो बाहर निकल आये।
मीना और उसके साथी पाशा को पुकारते हैं पर पाशा कोई जवाब नहीं देता तब मीना और उसके दोस्त सरपंच जी या पुलिस से मिलने की बात करते है तभी दरवाजे के पास से एक आवाज़ सुनाई पड़ती है देखने पर वहाँ पाशा चेहरे में बन्दर टोपी लगाये दिखते है। गर्मी के दिनों पाशा के सर में बन्दर टोपी देख बच्चे इसका कारण पूंछते है तो पाशा बताने से मना कर देता है पर बहुत कहने पर पाशा अपना चेहरा सिर्फ राजू को दिखाने को राजी होता है। राजू जैसे ही पाशा के चेहरे को देखता है राजू डर जाता है और कहता है ये आपको क्या हो गया है। फिर दीपू मीना को बताता है कि पता न पाशा भैया को क्या हो गया है?
(जो राजू ने देखा वो मीना को बताता है पर इस समस्या का हल उनमें से किसी के पास न है)
अगली सुबह इस समस्या के हल के लिए बहनजी के पास पहुँच जाते है और तब राजू टीचर बहनजी से बताता है की पाशा भईया लगता है भालू बन्ने वाले है, उनके चेहरे में थोड़े थोड़े बाल उग आये है और दाने भी हो गए हैं,लगता है उसे कोई खतरनाक बीमारी हो गई है।
टीचर जी कहती है कि बच्चो आप लोग परेशान मत हो मैं पाशा से खुद बात करुँगी।
और फिर बहनजी कुछ बच्चो के साथ पाशा के घर पहुँचती हैं और वहाँ पाशा की माँ से पूंछती हैं तब पाशा की माँ कहती हैं कि क्या बताऊँ टीचर जी अब वह बड़ा हो रहा है इसलिए उसके चेहरे में बाल आ रहे हैं और मुहासे भी हो रहें हैं। इसी कारन से वह दो दिनों से गौशाला में छुपा बैठा है।
बहनजी पाशा को उसकी पसंद की खीर खाने के बहाने से बुलाती हैं कुछ न नुकर के बाद बहन जी के के कहने पर पाशा बहार आ जाता है। बहनजी पाशा को समझाते हुए कहती हैं कि मुझे मालूम है की तुम्हे क्या हुआ है और इस पर तुम्हे परेशां होने की आवश्यकता भी न है क्योकि जब हम बड़े होते है तब हमारे शरीर में कुछ बदलाव अवश्य होते है,जैसे चेहरे में बाल आना, मुहासे निकलना और आवाज़ में भारीपन ....ये सब बढे होने की निशानियाँ हैं। तुमने अपने पिताजी,माधव काका,सरपंच जी इन सबको देखा होगा कि इनके भी डाढ़ी मूंछे और आवाजें भी भारी हैं।
बहनजी के समझाने पर पाशा समझ जाता है और अगले दिन से स्कूल आने लगता है। और अपना युगल गीत भी तैयार करता है।
आज का गाना:-
समय कभी न एक सा भईया,
समय बदलता जाए रे भईया।-4
बचपन बीते आए ज़वानी,
चाल में मस्ती बोली निराली,
कल है अपना जोश नया है,
बाजू बल और कद भी बड़ा है,
घबराओ न समय को समझो
समय बदलता जाये रे भईया
समय कभी न एक सा...............
गुजरे वक्त तो फ़िक्र न करना,
हर दिन है एक नया तराना,
खुल्ली बातें तुम अपनाओ
वक्त का पहिया रुकता न भईया
बक्त बदलता जाये रे भईया
समाय कभी न एक सा...
आज का खेल:- ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’
मीठी थी आवाज़ उसकी तेज़ था दिमाग।
भारत की कोकिला कहकर करते थे उसको याद।
स्वतंत्रता सेनानी थी वो,गाँधी जी की सिपाही थी वो।
उत्तर- सरोजनी नायडू (भारत की पहली महिला राज्यपाल)
आज की कहानी का सन्देश-
‘बचपन से जवानी तक में,
बालकों में होते शारीरिक परिवर्तन।
चेहरे पर दाने और बाल आना,
आवाज़ में भी आता भारीपन |’
अपने अन्दर शारीरिक या मानसिक बदलाओं से घबराएँ न इसके बजाये अपनी समस्याओं से अपने दोस्तों या बड़ों से साझा करें।
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