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मीना की दुनिया(Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 56 । कहानी का शीर्षक - "मीना और रस्सा कस्सी"

मीना की दुनिया(Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 56 । कहानी का शीर्षक - "मीना और रस्सा कस्सी"

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-56
दिनांक-11/12/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ ; समय-11:15am से 11:30am तक
कहानी का शीर्षक- “मीना और रस्सा कस्सी ”

मीना की दोस्त मिली के घर .......
मिली की माँ- आटा गूँथ दिया तूने?
मिली- हाँ माँ|
मिली की माँ- अरे! दीपक बेटा,आ गया खेल कर?
दीपक- हां अम्मा,आज तो खेल का मज़ा ही और अलग था| मैंने इतनी रोज़ से रस्सी खींची....बस आखिर में ज़रा सी चुक हो गयी|
मिली-...और तुम हार गए दीपक भईया|
माँ, मिली को दीपक के लिए दूध लाने को कहती है| 
मिली- माँ मैं भी थोडा दूध ले लूँ|
“तुझे क्या जरूरत है दूध की| तू जानती है न दूध दीपक के लिए है| इतना खेल कूद ताकत लगती है| दूध दही ये नही खायेगा, तो कैसे करेगा इतनी मेहनत और फिर के काम-काज से ज्यादा तू करती भी क्या है?” माँ ने मिली को डपटते हुए कहा, “ जा जरा अपने बाबूजी के लिए एक बाल्टी पानी ले आ|”
मिली की माँ- (दीपक से) चल दीपक बेटा खाना तैयार हो गया| तेरी पसन्द की आलू की भुजिया बनाई है और दाल......अरे! इसमें तो छोंक ही नहीं लगी है| मिली....दाल में छोंक क्यों नही लगाया तूने?

मिली- माँ बस लगाने ही वाली थी,इतना काम था|.......दीपक भईया तुम बाल्टी अन्दर ले जाओ न, तब तक मैं दाल में छोंक लगा देती हूँ|


दीपक- मैं क्यों? ............मुझे तो अम्मा जल्दी से खाना खिला दो|

मिली-हाँ ...छोड़ दो भईया| आपसे तो शायद बाल्टी उठेगी भी नहीं|

        जोश में आकर ताकतवर दीपू ने हाँफते-हाँफते बाल्टी उठाई|   दीपक की ताकत की पोल खुली अगले दिन.....जब रस्सा-कस्सी के खेल में उसकी टीम बुरी तरह से हार गयी| मीना और मिली उसी तरफ से गुजर रहे थे और वहीं रुक गए|

मिली- मीना,महेश भईया को थोड़ी और फुर्ती दिखानी चाहिए थी| रस्सी को एक झटका देकर खींच लेते तो जीत जाते|

    तभी वहां मौजूद लड़के मिली को चिढाते है... “है दम तो उतर न मैदान में,अपने भाई ती तरफ से|लड़की होकर बड़ी-बड़ी बातें करती है|”

“लड़की होकर....क्या मतलब? हम तुमसे कम नहीं हैं, सच में तुम्हें हरा सकते हैं|” मीना बोल पड़ी|

मिली- मीना क्या बोल रही है? चल घर चलते हैं|

दीपक-तुम तो जाओ| ये लड़के तो.....|

     लड़के फिर चिढ़ाते हैं, “क्यों दीपक? कमजोर भाई की कमजोर बहन|

मीना- मिली, दिखा दो इनकी ताकत|

मिली- अच्छा आओ देखते है कितना दम है तुम लोगों में, पकड़ो रस्सी|

       लड़कों ने मिली को चुनौती क्या दी, अपनी शामत ही बुला ली| मिली ने ऐसी फुर्ती दिखाई कि लड़के धूल में लोटने लगे| उनकी हार होने ही वाली थी कि तभी उधर से मिली के पिताजी आते हुए दिखे| और मीना के मना करने के बाद भी मिली ने रस्सी छोड़ दी| और घर चली गयी जिससे उसकी टीम हार गयी|

लड़के- देखो कैसे भागी मिली?

मीना- मिली भागी नहीं उसे जाना पड़ा| शुक्र मनाओ,वरना तो तुम हार ही जाते|

      मीना, लड़कों को अगले दिन फिर एक बार रस्सा कस्सी के खेल के लिए चुनौती दे देती है और मिली को इसकी खबर भी नहीं| दीपक ने जब अम्मा को मिली की रस्सा-कसी वाली बात बताई तो वो बरस पड़ीं, “घर में इतना काम पड़ा है और तू लड़कों के साथ उछल-कूद कर रही है|...चल अब खाना खाने बैठ .............खाने में दाल चावल बनाये हैं,बैंगन का भरता,चौलाई का साग भी है उधर कटोरे में, दीपक की थाली में रख दे|”

मिली- चौलाई तो मुझे भी बहुत पसन्द है अम्मा|

“चौलाई दीपक के लिए है तू मत लेना|” अम्मा ने कहा|

       उधर मीना के घर सबमें खूब जोश है|

मीना की माँ- अरे! मीना, ठीक से खा, कल रस्सा-कसी का खेल है न तेरा,एक रोटी और ले| ठीक से खायेगी नहीं तो ताकत और फुर्ती कैसे आयेगी?

मीना- ...पर अगर मिली नही आयी तो हम जीत नही पायेंगे, बही ताकत है उसके हाथों में|

         और अगली सुबह.........मिली के न आने के कारण खेल शुरु नहीं होता है| मीना, दीपक को उसके घर भेजती है| दीपक भगा-भागा घर जाता हैऔर देखता है कि मिली घर के काम में लगी है|

दीपक- तू यहाँ भैंसों को चारा दे रही है उधर मैदान में मीना तेरा इन्तजार कर रही है|......तू नहीं गयी तो मीना की टीम हार जायेगी.....तू जा मैं भैसों को चारा देता हूँ|

      मिली पहुँच गयी मैदान में, खेल शुरु हुआ| खेल देखने के लिए काफी लोग आ गए| गाँव के सरपंच जी भी|.....और मिली व मीना की टीम जीत गई|सरपंच जी उसे शाबासी देते हैं और जीतने वाली टीम को इनाम भी|

      जब मिली और मीना मिली के घर पहुंची तो....

मिली की माँ- अरे! मिली, कहाँ चली गयीं थी तुम?

    मीना, मिली की माँ को सारी बात बताती चली जाती है|......इतना सुनकर माँ भी मिली को अपने पास बुलाकर प्यार करती है और कहती है, “मुझे अपनी बिटिया पर नाज़ है”


आज का गाना-

प्यार बराबर सबको करना, दीपू मुन्नी मिलकर हँसना|

दूर गगन में चाँद और तारे,बगिया में फूल के जोड़े|

भेद नहीं है इनमे कोई, पापा के प्यारे दोनों है|

मम्मी की गोदी में मुन्नी,कंधे झूले दीपू देखो|

दौड़ लगते सरपट दोनों,खाते-पीते जमकर दोनों|

घर और देश को आगे लाना,दीपू मुन्नी मिलकर हँसना|

दूर गगन में.....................................................|

गणित का हीरो दीपू अपना,डॉक्टर है मुन्नी को बनना|

कोई किसी से कम न पाता, बाँट लो सब कुछ आधा-आधा|

प्यार बराबर सबको करना, दीपू मुन्नी मिलकर हँसना|

दूर गगन में.....................................................|

आज का खेल-     ‘नाम अनेक अक्षर एक’

            अक्षर- ‘न’

व्यक्ति- नील 
आर्मस्ट्रांग
जगह- 
नागालैण्ड
जानवर-
नागवस्तु-
नीबू

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1 Comments

  1. 📌 मीना की दुनिया(Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 56 । कहानी का शीर्षक - "मीना और रस्सा कस्सी"
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