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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 51 । कहानी का शीर्षक - "पूरी बात"

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 51 । कहानी का शीर्षक - "पूरी बात"

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
                                                                  
दिनांक 5/12/2015

आकाशवाणी केन्द्र - लखनऊ

समय- 11:15 से 11:30 am तक

   एपिसोड- 51

आज की कहानी का शीर्षक-   पूरी बात

                  सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली नीलम को उसके  पिताजी ने स्कूल भेजना बंद कर दिया है। उनका कहना है की वह घर रह कर अपनी माँ का घर के  काम में हाथ बटाएगी। मीना, नीलम के घर की तरफ हाथ में कुछ लेकर जा रही है।

मीना- (खट खट)"नीलम दीदी.......२"

अंदर से आवाज आती है- "कौन है?"

मीना- चाची, मैं हूँ मीना।

     दरवाजा खुलता है.........मीना चाची को नमस्ते करती है।

चाची- आओ मीना आओ, ले आईं।

मीना- हाँ चाची, नीलम दीदी कहाँ हैं?

चाची- वो तो बहार नल से पानी भरने गयी है।

नीलम के पिताजी (चाचाजी)- कौन आया है नीलम की माँ?

मीना- नमस्ते सूरज चाचा, ये लीजिये अपका कुर्ता।

चाचा - अरे...तुम ये कहाँ से ले आई मीना।

मीना- दर्जी काका से। अपनी साइकिल पे जाके।

चाचा- शब्बाश बेटी! अरे ये क्या? इस कुर्ते में न तो बटन हैं और न ही ठीक से सिलाई हुई है।

मीना- हाँ चाचा, दर्जी काका कह रहे थे, की महँगाई बढ़ने की वजह से वो आजकल कपड़ो में कम धागा लगा रहे हैं।

चाचा- अरे भाई, इसका मतलब ये तो नहीं न कि वो आधे अधूरे कपडे सिलेगा। ये देखो, कैसे पहनू ये आधा सिला हुआ कुर्ता।

मीना- चाचा, दर्जी काका तो कह रहे थे की उनके हिसाब से ये कुर्ता बिलकुल ठीक सिला है। और,.....

चाचा- अरे भाई, उसके कहने से क्या होता है?बुरा तो पहनने और देखने वाले को लगेगा न  चाची- गुस्सा क्यों होते हो, .....पैसे भी तो कम लिए हैं दर्जी ने।चाचा- ये सिलवाने की भी क्या जरूरत थी, ऐसी ही ओढ़ लेता कपड़ा, चद्दर की तरह। पूरे पैसे बच जाते। ह्ह्ह्हजा रहा हूँ मैं।

चाची (हँसते हुए)- लो,  ये तो नाराज़ हो कर चले गयें। चलो पहली तरकीब तो काम कर गई।

मीना चाची को याद दिलाती है कि कल चाचा के खाने में.........चाची कहती हैं कि उन्हें सब याद है। 

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