मन की बात (Man Ki Baat) : दुर्भावनाग्रस्त शुभकामनाओं से कोई बचाए मुझे, मैं समझ सकता हूं कि सबके लिए अलग से शुभकामना लिखने का न तो वक्त है न हुनर..मैं भारत में आए शुभकामना संकट को राष्ट्रीय संकट मानता हूं क्योंकि..........
नववर्षागमन की पूर्व संध्या की बेला पर लिखने के लिए नया कुछ नहीं है। सारी बातें कही और लिखी जा चुकी हैं। लोग इस कदर बोर हो चुके हैं कि शुभकामनाओं की रिसाइक्लिंग करने लगे हैं। शुभकामनाओं का भी अर्थशास्त्र के सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम के तहत मूल्यांकन होना चाहिए। एक ही शुभकामना अगर कई लोगों से होते हुए आप तक पहुंचे तो उसका क्या असर होगा। कई साल से इस्तेमाल में हो तब क्या कोई असर बाकी रह सकता है। गन्ने की तरह हमने शुभकामनाओं से रसों को आख़िरी बूंद तक निचोड़ लिया है।
मैं समझ सकता हूं कि सबके लिए अलग से शुभकामना लिखने का न तो वक्त है न हुनर। जिनको अंग्रेज़ी नहीं आती उनका अंग्रेज़ी में न्यू ईयर विश देखकर टेंशन में आ जाता हूं कि ये कब सीख लिया इसने। हर शुभकामना में समृद्धि होती है। क्यों होती है और इससे क्या हम समृद्ध होते हैं? कुछ लोग हैप्पी न्यू ईयर का वर्ण विस्तार करेंगे। एच से कुछ बताएंगे तो वाई से कुछ। हम तो स्कूल में यही पढ़कर निकले कि वाई से सिर्फ याक होता है। किसी ने नहीं बताया कि ईयर भी होता है।
मैं शुभकामनाओं के आतंक से घबराया हुआ हूं। बाज़ार में वही पुरानी शुभकामनाएं हैं, जिनमें साल हटाकर कभी होली तो कभी दीवाली लिख देते हैं। अकर-बकर कुछ भी बके जा रहे हैं लोग। अकर-बकर आबरा का डाबरा का भोजपुरी रूपांतरण है। हम सब अपना और समाज का फालतूकरण कर रहे हैं। अंग्रेज़ी शब्द एब्सर्ड के एंबेसडर हो गए हैं। मेरा बस चलता तो एक शुभकामना पुलिस बनाता। जो भी पिछले साल की शुभकामनाओं का वितरण करता पाया गया उसे कमरे में बिठाकर एक हज़ार बार वही शुभकामनाएं लिखवाता ताकि उसे जीवनभर के लिए याद रह जाता कि ये वही वाली शुभकामना है, जिसे भेजने पर पुलिस ले गई थी।
मैं भारत में आए शुभकामना संकट को राष्ट्रीय संकट मानता हूं। इस संकट को दूर करने के लिए अखिल भारतीय शुभकामना आयोग बनाना ही पड़ेगा। ईश्वर के लिए इस आयोग का चेयरमैन रिटायर्ड जज नहीं होगा। मैं रिटायर्ड जज वाले आयोगों से भी उकता गया हूं। जैसे किसी आयोग का जन्म रिटायर्ड जज के पुनर्जन्म के लिए ही होता है। आयोग से जजों का आतंक दूर करना भी मेरा मक़सद है। इसलिए शुभकामना आयोग का चेयरमैन ख़ुद बनूंगा। दुनिया से आह्वान करूंगा कि पुरानी शुभकामनाएं न भेजें। इससे लगता है कि पुराना साल ही यू-टर्न लेकर आ गया है। अगर आप शुभकामना नहीं भेजेंगे तब भी वर्षागमन तो होना ही है। जो लोग नया नहीं रच पाएंगे उनके लिए मैं मनोवैज्ञानिक चिकित्सा उपलब्ध कराऊंगा। ताकि उन्हें यकीन रहे कि बिना शुभकामना भेजे भी वो नए साल में जीने योग्य होंगे।
प्लीज, पुरानी शुभकामनाओं से नए साल को प्रदूषित न करें। कुछ नया कहें। कुछ नया सोचें। आपके आशीर्वाद से कोई समृद्ध होने लगे तो नेता आपके हाथ काट ले जाएंगे। अपने दफ्तर में टांग देंगे। इसलिए खुद को ही शुभकामना दीजिये कि आपको वर्षागमन पर किसी की शुभकामना की दरकार ही न हो। समृद्धि एक सामाजिक स्वप्न है या व्यक्तिगत हम यही तय नहीं कर पाए। सरकार सोचती है कि सबको समृद्ध करें। इंसान सोचता है कि खाली हमीं ही समृद्ध हों, लेकिन शुभकामनाओं की ये ग़रीबी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती है।
इसलिए हे प्रेषकों, आपके द्वारा प्रेषित शुभकामनाओं से सदेच्छा संसार में बोरियत पैदा हो रही है। आप किसी के द्वारा प्रेषित घटिया शुभकामना को किसी और के इनबॉक्स में ठेलकर बदला न लें। जो जहां है, वहीं रहे। ये साल आकर चला जाएगा। कुछ काम नहीं है तो टाटा-407 बुक कीजिये। दस दोस्तों को जमा कीजिये और कहीं चले जाइये। मीट मुर्ग़ा भून भून के बनाते रहिए। स्वेटर उतार कर कमर से बांध लीजिये या कंधे पर रख लीजिये। एक ठो म्यूज़िक सिस्टम लेते जाइयेगा। जब तक धूप रहे खान पान और डांस करने के बाद घर आ जाइयेगा।
चला चलंती की बेला में ये साल सला सल का ठेला है। अल्ल-बल्ल कुछ भी बकिये लेकिन जान लीजिए कि हमारी आपकी जीवन पद्धति का बंदोबस्त हो चुका है। शहर, पेशा और वेतन के अंतरों से ही अंतरकायम है वर्ना हमारी दुनिया एकरस हो चुकी है। लोड मत लीजिये। ऐश कीजिये । मस्ती का बहाना, जिसके आने जाने से मिले, वही स्वागतयोग्य है। बस ध्यान रहे कि कूकर की सीटी सुनाई दे। वरना मुर्ग़ा जल-भुन गया तो मूड ख़राब हो जाएगा। आप अपना देखो जी। हम अपनी देखते हैं। दुर्भावनाओं से लगने वाले पकाऊ थकाऊ और उबाऊ शुभकामनाएं न भेजें।
सौजन्य : रविस कुमार जी एनडीटीवी
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🌹🚩 हैप्पी न्यू & न्यूज़ ईयर......,.....
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