'शिक्षा को WTO देशों के लिए संभलकर खोलें' : RSS ने किया सरकार को आगाह, 15 दिसंबर से नैरोबी में होने वाली WTO मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस में इस प्रस्ताव पर होना है चर्चा
नई दिल्ली : WTO (विश्व व्यापार संगठन) देशों के लिए देश के एजुकेशन सेक्टर के दरवाजे खोलने के प्रस्ताव पर कई एजुकेशनिस्ट, टीचर्स ऑर्गनाइजेशंस के साथ ही संघ को भी ऐतराज है। जहां टीचर्स के संगठन इस प्रस्ताव को ही वापस लेने की मांग कर रहे हैं, वहीं संघ का मानना है कि यह ओपन ऑफर नहीं होना चाहिए और हमें अपनी जरूरतों के हिसाब से चुनाव करना चाहिए।
यह है मसला
केंद्र सरकार ने 2005 में WTO में सदस्य देशों के लिए भारत का एजुकेशन सेक्टर खोलने का प्रस्ताव रखा था। अब 15 दिसंबर से नैरोबी में होने वाली WTO मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस में इस प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। अगर यह प्रस्ताव मान लिया जाता है, तो WTO के सदस्य देशों के लिए भारत के एजुकेशन सेक्टर के दरवाजे खुल जाएंगे।
जंतर-मंतर पर विरोध
सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि सरकार को यह प्रस्ताव पहले ही वापस ले लेना चाहिए, ताकि देश के एजुकेशन सेक्टर को बचाया जा सके। छात्र संगठन एसएफआई का कहना है कि अगर फॉरेन इनवेस्टमेंट की स्वीकृति मिल जाती है तो यह राइट टु एजुकेशन के विचार के लिए खतरनाक होगा। साथ ही एजुकेशन सेक्टर के सारे पहलू WTO डिसाइड करेगा। फॉरेन यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़ेगी, जिसका खामियाजा लोकल एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को भुगतना पड़ेगा। प्रस्ताव के खिलाफ कई संगठन एकजुट होकर दिल्ली के जंतर मंतर पर कैंप कर रहे हैं। 64 संगठनों ने मिलकर 'ऑल इंडिया फोरम फॉर राइट टु एजुकेशन' बनाया है जिसके बैनर तले यह ऑल इंडिया रेजिस्टेंट कैंप 7 से 14 दिसंबर तक दिल्ली में होगा। इस कैंप के लिए बनी आयोजक कमिटी के हेड रिटायर्ड जस्टिस राजिंदर सच्चर हैं।
संघ की राय
RSS से जुड़े शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के राष्ट्रीय सहसंयोजक अतुल कोठारी का कहना है कि हमें WTO के सदस्य देशों के आने से ऐतराज नहीं, लेकिन यह रेड कारपेट रिसेप्शन नहीं होना चाहिए। हम मैरिट के आधार पर इनवाइट कर सकते हैं।
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📌 शिक्षा (Education) को WTO देशों के लिए संभलकर खोलें' : RSS ने किया सरकार को आगाह
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