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शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी लगने से बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा असर : बगैर शिक्षा ग्रहण किए घर लौट रहे छात्र

शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी लगने से बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा असर : बगैर शिक्षा ग्रहण किए घर लौट रहे छात्र

निघासन-खीरी। पंचायत चुनाव इस बार भी शिक्षा पर बुरा असर डाल रहा है। ऐसी स्थिति में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। क्योंकि शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लग जाने के कारण बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे जब स्कूल जाते है तो वहां पर अध्यापकों की कमी होने के कारण बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाती है। वही कहीं-कहीं शिक्षकों के अभाव में एमडीएम भी नहीं बन पाता है। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे बगैर शिक्षा के साथ-साथ भूखे पेट ही अपने घर चले जाते है।विकास खण्ड क्षेत्र में 186 प्राथमिक विद्यालय है तथा 68 उच्च प्राथमिक विद्यालय है। जिला पंचायत चुनाव से लेकर ग्राम पंचायत की चुनाव तक शिक्षकों की ड्यूटी निरन्तर चुनाव में लगाई जा रही है।

अध्यापकों को चुनाव में चले जाने के बाद शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को अध्यापकों की कमी भी झेलनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है और अध्यापक के न होने के कारण न तो ढंग से बच्चों की पढ़ाई हो पाती है। न ही एमडीएम बच्चों को मिल पाता है। स्कूल तो प्रतिदिन खुलते है और बच्चे भी प्रतिदिन स्कूल जाते है। जिन विद्यालयों में अध्यापकों का पर्याप्त स्टाप है वहां भी शिक्षक चुनाव में चले गए है। बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। स्कूल जाते बच्चों को मिलने वाली शिक्षा पूरी तरह नहीं मिल पाती है क्योंकि कम अध्यापक होने के कारण सभी क्लासों में अध्यापक नहीं जा पाते है। एक-दो क्लास पढ़ाने के बाद विद्यालय में अवकाश कर दिया जाता है।

वहीं अध्यापकों की कमी के चलते एमडीएम भी नहीं बन पाता है। इससे पूर्व पहले चरण के पंचायत चुनाव में भी करीब 300 के लगभग अध्यापकों की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई थी। इसके अलावा पंचायत में चुनाव के पहले व दूसरे चरण में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई। वहीं तीसरे चरण में भी 308 अध्यापकों की ड्यूटी भी पंचायत चुनाव में लगाई गई है। ऐसी स्थिति में शिक्षक चुनाव ड्यूटी करेगा या बच्चों को पढ़ाएगा।

चुनाव में डियूटी लगने के बाद स्वभाविक है कि बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। वैसे भी प्रशिक्षु शिक्षक से सहायक अध्यापक बने लगभग 317 अध्यापकों की स्कूलों में तैनाती कर दी गई है। जिससे स्कूल तो बंदी की कगार से बच गया है लेकिन वह शिक्षा वाली बात नहीं रह गई है। इस संबंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ला ने बताया कि शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में तो लगाई गई है लेकिन नियमित स्कूल तो खुलते है स्कूल में सहायक अध्यापक बच्चों को पढ़ाते है। चुनाव शिक्षा पर कोई असर नहीं डाल रहा है।

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