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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

स्कूलों में जाएंगे शिक्षामित्र, दूर होगा संकट : आरटीई में प्राथमिक स्कूलों के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात में हो गयी थी गड़बड़ी

स्कूलों में जाएंगे शिक्षामित्र, दूर होगा संकट : आरटीई में प्राथमिक स्कूलों के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात

इलाहाबाद । सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे से शिक्षामित्रों के प्राइमरी स्कूलों में वापसी का रास्ता साफ हो गया है। इससे बीच सत्र में लड़खड़ाई शिक्षा व्यवस्था के फिर से पटरी पर आने की उम्मीद है।

दरअसल 12 सितम्बर को समायोजन निरस्त होने के बाद 1.24 लाख शिक्षामित्र बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूलों से बाहर हो गए। इससे नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 में निर्धारित छात्र-शिक्षक अनुपात भी असंतुलित हो गया था।

इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी से स्कूलों में पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित था। बहरहाल अब शिक्षामित्रों के स्कूलों में लौटने पर पढ़ाई-लिखाई में सुधार की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने का स्वागत किया है।

शिक्षकों के सवा दो लाख पद हैं खाली
जुलाई 2011 में आरटीई लागू होने के सवा चार साल बाद भी यूपी के स्कूलों में शिक्षकों की जबर्दस्त कमी बनी हुई है। 10 अप्रैल 2012 को तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने अपनी रिपोर्ट में कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों में 2.70 लाख शिक्षकों की कमी बताई थी। 29 जुलाई 2015 को 22,855 नए पद सृजित किए गए। पिछले चार साल में लगभग 36 हजार अध्यापक रिटायर भी हो गए। जबकि इस दौरान तकरीबन 93 हजार शिक्षकों की नियुक्ति ही हो पाई है। इस लिहाज से अभी भी शिक्षकों के 2.35 लाख पद खाली हैं।

आरटीई में प्राथमिक स्कूलों के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात
छात्रसंख्या   शिक्षक
60 तक   दो
60 से 90   तीन
90 से 120   चार
120 से 200 तक  पांच
(नोट: 150 से अधिक बच्चे होने पर पांच शिक्षकों पर एक हेडमास्टर जरूरी, 200 से अधिक छात्र होने पर कम से कम 40 छात्र पर एक शिक्षक होना जरूरी।)

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