वर्षों से अटकी विशिष्ट बीटीसी की नियुक्ति : मनमानी के कारण नए-नए नियमों के पेंच में उलझे अभ्यर्थी
इलाहाबाद : विशिष्ट बीटीसी 2004 के चयनित शिक्षक 11 बरस से नियुक्ति पाने की राह देख रहे हैं। नौकरी मिलने की जगह हर बार वह नए-नए नियमों के पेंच में फंसते जा रहे हैं। उस समय टीईटी आदि की अनिवार्यता नहीं थी, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया अटकने से उन्हें टीईटी की बाधा भी पार करनी पड़ी। अब वह उम्र के ऐसे पड़ाव पर पहुंच गए हैं, जहां से आगे जाने का कोई मौका नहीं होगा। इससे बचने के लिए सरकार से नियुक्ति देने की गुहार लगाई जा रही है।
वर्ष 2004-05 में विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के उन अभ्यर्थियों को नौकरी देने से रोक दिया गया था जिनके पास पत्रचार से बीएड की डिग्री थी। तत्कालीन सरकार ने इस डिग्री को ही अमान्य कर दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस डिग्री को मान्य किया तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी, तीन बरस बाद शीर्ष कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज करके हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। आखिरकार 2013 में सरकार ने अभ्यर्थियों को छह माह का प्रशिक्षण कराया और हाईकोर्ट ने नियुक्ति देने का निर्देश दिया, लेकिन तब तक शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी अनिवार्य हो चुकी थी, सो नौकरी नहीं मिल सकी।
अभ्यर्थियों का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति मिलने तक 2004 विशिष्ट बीटीसी के अभ्यर्थियों को मानदेय देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है और प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही एनसीटीई ने भी 2010 के पूर्व की नियुक्तियों के लिए टीईटी की अनिवार्यता न होने की बात कही है। आदर्श शिक्षक वेलफेयर उत्तर प्रदेश ने प्रदेश सरकार से विशिष्ट बीटीसी 2004 ही नहीं 2007-08 के अभ्यर्थियों को भी इसी माह नियुक्ति देने की मांग की है। साथ ही हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों ने यह भी अनुरोध किया है कि उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए उक्त वर्षो के प्रशिक्षुओं को शिक्षक बनाया जाए। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. रुद्र प्रभाकर मिश्र ने बताया कि इस संबंध में अभियान के तहत वरिष्ठ अफसरों का भी ध्यानाकर्षण कराया जाएगा।
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