आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति बदलने पर सहमति : मानव संसाधन विकास मंत्रालय यदि स्वीकार कर लेता है तो आने आने वाले दिनों में शिक्षा का अधिकार कानूनों में करने होंगे आवश्यक बदलाव
नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की एक उप समिति ने कक्षा आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करने पर सहमति व्यक्त की है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर वासुदेव देवयानी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय को यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि पांचवीं एवं आठवीं में बोर्ड परीक्षा होनी चाहिए। समिति की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है जिसकी सिफारिश जल्द ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय से की जाएगी।
दरसअल, केब की पिछली बैठक में आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव पर सहमति बनी थी। लेकिन इसकी प्रक्रिया और सभी राज्यों के विचार जानने के लिए देवयानी की अध्यक्षता में समिति बनी थी। समिति में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और ओडिसा के शिक्षा मंत्री शामिल है।
समिति ने इस बारे में राज्यों से लिखित सुझाव मांगे थे। जिनमें से 18 राज्यों ने लिखित रूप से सहमति जताते हुए मौजूदा नीति में बदलाव की हामी भर दी है। दरअसल, राज्यों का कहना है कि फेल नहीं करने की नीति से बच्चे पढ़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं जिससे उनका शैक्षिक स्तर खराब हो रहा है। यह व्यवस्था पांच साल पूर्व शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों के तहत की गई है लेकिन इसके नतीजे खराब रहे हैं।
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📌 आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति बदलने पर सहमति : मानव संसाधन विकास मंत्रालय यदि स्वीकार कर लेता है तो आने आने वाले दिनों में शिक्षा का अधिकार कानूनों में करने होंगे आवश्यक बदलाव
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