प्रमुख सचिव बोले, उनकी किताब अनिवार्य नहीं, नैतिक और शारीरिक शिक्षा पढ़ाएगा कौन : कक्षा छह से 12 तक हर स्कूल में दो-दो सेक्शन भी है तो हुआ 14 पीरियड
√यूपी बोर्ड के स्कूलों में अनिवार्य विषय, सिलेबस भी बढ़ा दिया लेकिन शिक्षक हैं नहीं,
√ज्यादातर स्कूल एक पीटी टीचर के भरोसे, कई में तो वो भी नहीं
लखनऊ : यूपी बोर्ड के स्कूलों में नैतिक, खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा अनिवार्य विषय है। उसमें अब मानवाधिकार के पाठ भी जोड़ दिए गए हैं और प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने उस पर किताब लिखकर बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी यही है कि नैतिक एवं शारीरिक शिक्षा विषय को पढ़ाएगा कौन/ स्कूलों में नैतिक और शारीरिक शिक्षा के शिक्षक ही नहीं हैं। ज्यादातर शिक्षक एक पीटी टीचर के भरोसे हैं और कहीं तो वह भी नहीं हैं। प्रदेश में कुल पीटी टीचर भी 3000 से कम हैं लेकिन जरूरत 1800 हजार से ज्यादा शिक्षकों की है।
नैतिक, खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय कई साल पहले अनिवार्य कर दिया गया लेकिन इसके लिए शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई। तब कहा गया था कि अन्य विषयों के जो शिक्षक हैं, उनको ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। वे ही नैतिक, खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा पढ़ाएंगे। कक्षा छह से 12 तक यह विषय पास करना अनिवार्य होता है। इस विषय का प्रैक्टिकल भी होता है और थ्योरी भी। अन्य विषयों के शिक्षकों की दिक्कत यह है कि वे अपना विषय पढ़ाएं या यह अतिरिक्त विषय। हकीकत यह है कि यह विषय पढ़ाया ही नहीं जाता। जैसे-तैसे बच्चे खुद ही पढ़कर थ्योरी पास कर लेते हैं और प्रैक्टिकल में शिक्षक मनमाने ढंग से नंबर दे देते हैं।
सिर्फ 3000 टीचर
कक्षा छह से 12 तक हर स्कूल में दो-दो सेक्शन भी है तो 14 पीरियड होते हैं। ज्यादातर स्कूल एक पीटी शिक्षक के भरोसे हैं या एक भी नहीं है। कई इंटर कॉलेजों में तो पांच-पांच सेक्शन चलते हैं। प्रदेश में 4500 एडेड इंटर कॉलेज और 1500 राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेज हैं। ऐसे में छह हजार स्कूलों में औसत तीन शिक्षक के हिसाब से भी 18000 शिक्षक चाहिए। जबकि प्रदेश भर में तीन हजार ही पीटी शिक्षक हैं।
√शिक्षकों पर पहले से ही बोझ है और वे खेलकूद करवा भी नहीं पाएंगे। सभी स्कूलों में यह विषय अनिवार्य है। सरकार को ध्यान देना चाहिए।
-डॉ. जेपी मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष, प्रधानाचार्य परिषद
√शिक्षकों की कमी का अध्ययन करवाया जाएगा। व्यवस्था में सुधार के लिए जो भी संभव होगा, वह किया जाएगा।
-बलराम यादव,
माध्यमिक शिक्षा मंत्री
√गणित और विज्ञान के शिक्षक खेलकूद तो करवाएंगे नहीं। ऐसे में नैतिक शिक्षा देने और मानवाधिकार पढ़ाने के लिए अतिरिक्त शिक्षकों की तो जरूरत होगी ही।
-डॉ. आरपी मिश्र, प्रांतीय मंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ
प्रमुख सचिव बोले, उनकी किताब अनिवार्य नहीं
लखनऊ : प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा, जितेंद्र कुमार ने गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर मंच से कहा था कि उनकी लिखी किताब 'लर्निंग राइट्स एंड वैल्यूज' यूपी बोर्ड के सिलेबस में चलेगी। यह नौवीं से 12वीं तक पढ़ाई जाएगी। अब उन्होंने साफ किया है कि यह किताब खरीदना अनिवार्य नहीं है। सभी प्रकाशकों की किताबें बाजार में उपलब्ध रहती हैं। यह अभिभावकों और स्कूलों पर निर्भर है कि वे कौन से किताब अपने यहां पढ़ाएं। हालांकि उनका कहना है कि यह किताब नौवीं से 12 वीं तक के बच्चों को टारगेट करके लिखी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा ने कहा है कि यह किताब यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं की गई है। दोनों ही अफसरों ने माना कि बोर्ड के सिलेबस में नैतिक, खेल, शारीरिक शिक्षा विषय में मानवाधिकार के कुछ पाठ पिछले साल ही जोड़ दिए गए थे। यह मानवाधिकार आयोग की सिफारिश पर जोड़े गए थे। उसका भी इस किताब कोई सरोकार नहीं है। जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह किताब बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के मकसद से लिखी गई है।
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