मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड- 46
दिनांक-28/11/2015
आज की कहानी का शीर्षक- “ जन्मदिन का तोहफा”
मीना अपने भाई राजू और छोटे मिठ्ठू के साथ स्कूल जा रही है| पर ये क्या? आज राजू उदास-उदास लग रहा है|
मीना के पूँछने पर राजू बताता है, “वो मेरी कक्षा में कन्हैया है ना,उसके पास दूरबीन है| वो दूर-दूर की चीजें उससे देख लेताहै| कल कह रहा था कि उसके घर के सामने जो आम का पेड़ हैउसके आम वो दूरबीन से देख लेटा है और पके-पके आमतोड़कर खा लेता है|....मुझे वो दूरबीन चाहिए, पर....|”
मीना राजू को समझाती है कि उसे अपनी चीजें संभाल कर रखनी चाहिए| साथ ही याद दिलाती है, “...बाबा एक बार शहरसे तेरे लिए दूरबीन लाये थे न ....क्या किया था तूने उसका?उसी समय तोड़-ताड़ के फ़ेंक दी थी, हूं |”
“....अब ऐसा नहीं होगा ...अब संभाल कर रखूँगा| पर मुझेदूरबीन चाहिए मीना|” राजू भरोसा देता है, “मैं भी कन्हैया कीतरह आम देख सकूँगा| मीना.....कुछ कर ना|”
मीना- हूं...अच्छा ठहर, सोचने दे|
....तो ये बात है, राजू को दूरबीन चाहिए और मीना सोच भी रही है देखने वाली बात तो अब ये होगी कि मीना करेगी क्या?....उधर मीना के स्कूल की छुट्टी हुयी और बच्चों के रंग-बिरंगे खिलौने सजाकर इधर गुब्बारे वाले चाचा चले आ रहे है|
किसी को नारंगी वाला गुब्बारा चाहिए, किसी को गुडिया,किसी को लट्टू तो किसी को हवाई जहाज लेना है|
गुब्बारे वाले चाचा- हाँ..हाँ..सब लो बेटा| हर मंगलवार को मैंतुम सबके लिए ही तो आता हूँ| ये ले गुड़िया .....तेरा लट्टू....येतेरा हवाई जहाज|
“.....अरे मीना बिटिया, तू वहां क्यों खड़ी है? इधर आ|”, चाचामीना को आवाज़ देते हैं, “तू भी कुछ ले ले|”
मीना चाचा से दूरबीन की पूँछती है|
“अभी तो नहीं है बेटी”, चाचा उसे भरोसा दिलाते है, “.....तो फिर अगले मंगलवार को आऊँगा तो लेता आऊँगा|”
मीना- चाचा अगले बुधवार को राजू का जन्मदिन है और मैं उसे तोहफे में दूरबीन देना चाहती हूँ|
......उस दिन गुब्बारे वाला मीना से वादा करके चला गया|पूरा हफ्ता मीना एक-एक दिन मंगलवार का इंतज़ार करती रही|राजू ने कई बार दूरबीन के बारे में मीना से पूँछा पर मीना चुपरही और आज वो दिन था मंगलवार| सुबह से ही वो गुब्बारे वालेका रास्ता देख रही थी...पर गुब्बारे वाला नही आया| दोपहर सेशाम औए शाम से रात हो गयी|
....और फिर मीना ने सारी बात अपने बाबा को बता दी|
मीना के बाबा ने उसे अपनी साइकिल पर बैठाया और वो उसे पास के गाँव में हरिया गुब्बारे वाले के घर ले गए|
हरिया बताता है, “छुटके की तबियत बहुत बिगड़ गयी,दस्त हो रहे हैं| कल से तो बार-बार जुबान सूख रही है पर आज सबेरे सेतो.... जैसे जान है ही नहीं और कुछ खा भी नहीं रहा|”
मीना – बाबा छुटके को तो नर्स बहिन जी को दिखाना चाहिएन| याद है बाबा, पिछले साल जब तारा को भी ऐसा हुआ था तोनर्स बहिन जी ने ही आकर उसको ठीक किया था| (हरिया से)चाचा...यहाँ नर्स बहिन जी का उप स्वास्थ्य केंद्र कहाँ है? मैंअभी जाकर उन्हें बुला लाती हूँ|
मीना ने वही किया जो हरिया भईया को बहुत पहले करना चाहिए था| मीना नर्स बहिन जी को ले आयी| और उन्होंनेआकर बच्चे को देखा और कहा, “देखो....दस्त की वजह सेबच्चे में पानी की कमी हो गई है| मैं इसे ये ओ आर एस (ORS)का घोल दे रही हूँ.......घर में साफ़ उबला हुआ पानी है|....बसइस ORS के पूरे पैकेट को इस साफ़ वर्तन में डाल दो..साफउबले हुए पानी मे अच्छी तरह मिलाकर हर आधे घन्टे में बच्चेको चम्मच से पिलाते रहो|”
“बहिन जी...कोई चिंता की बात तो नहीं|” हरिया ने पूँछा|
बहिन जी- अब तो नहीं| पर अगर कुछ देर और हो जाती तोबच्चे को अस्पताल ले जाना पड़ता| अगर दस्त रुक न रहे हों तोइससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है| और पानी की कमीजानलेवा हो सकती है|
“पर शरीर में पानी की कमी हो गयी है ये कैसे पता चलेगा?”हरिया ने जानना चाहा|
बहिन जी समझाती हैं, “अगर बच्चा सुस्त हो जाए, गला बार-बार सूख रहा हो,चिड़चिड़ा हो जाए तो ये लक्षण पानी की कमी के हैं|”
इस तरह मीना की सूझ-बूझ और समझदारी काम आयी|..और हरिया का बच्चा अब आराम से सो रहा है| मीनाऔर उसके बाबा ने हरिया भईया से आज्ञा ली और अपने घरचलने को निकल पड़े| पर ये क्या? हरिया भईया तो बाहर इनकेपीछे-पीछे आ गये|
मीना के बाबा- हरिया भईया तुम, अन्दर......|
हरिया- मुझे मीना बिटिया को कुछ देना है|.....ले मीना बिटिया,तेरी दूरबीन तो शहर से तो मैं ले आया था पर तेरे गाँव न आसका| कल तेरे भईया का जन्मदिन है न|
मीना- चाचा...चाचा ये पैसे....ये मैंने दूरबीन के लिए जमा किये थे|
हरिया- न बेटी .....ये तो मैं न लूंगा| तेरे भईया के जन्मदिन कातोहफा है ये| सुबह होते ही उसे दे देना , बहुत खुश हो जायेगावो|
हरिया भईया बताते है, “कल मेरे छुटके का भी पहला जन्मदिन है और उसे मीना बिटिया इतना बड़ा तोहफा दे के जा रही है....’सेहत का तोहफा’
मीना अपने बाबा की साइकिल पर बैठकर वापस आ गयी|उसके हाथ में दूरबीन थी| राजू के ‘जन्मदिन का तोहफा’बिलकुल वैसा ही जैसा उसे चाहिए था|
आज का गाना-
मेरे पीछे दौड़ा कालू,उसके पीछे दौड़ी गुडिया|
गुड़िया के पीछे भागा क्यों?राजू के पीछे वो चिड़िया|
मेरे पीछे....................|
खेल-खेल में मज़ा बहुत है,दौड़ भाग में बहुत है|
आओ अब हम बैठ जायें और एक कहानी सुनायें
कहानी!..................हाँ कहानी|
‘राजा की कहानी या फिर बन्दर की कहानी|’
न बन्दर की न राजा की ये कहानी तो है दस्त की|
‘दस्त.....दस्त क्या होता है?’
जब पेट में हो गड़बड़ घोटाला
जाना पड़े जब भाग-भाग दोबारा
नींद नहीं जब हमको आये
कमजोरी से दिल घबराए
‘ओह! समझ गया|
जिसके पास ये जाता है उसको बहुत सताता है|-२
मुँह सूख जाता है,उल्टी से जी घबराता है|
थका-थका सा लगता है मन को कुछ नहीं भाता है||
‘ओह! ऐसा है ये दस्त...’
पर इसको हम कैसे भगायें? कैसे इससे पीछा छुड़ायें?
ओ आर एस (ORS)का घोल कर दे इसका काम तमाम
बस बच्चे को यही पिलाओ, मुस्कान होंठों पर लाओ|
ओ आर एस- ओ आर एस, ओ आर एस- ओ आर एस|
मेरे पीछे दौड़ा......................................................|
आज का खेल- ‘घोल घुमा के बोल’
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