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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 42 । कहानी का शीर्षक- “नाव की सैर”

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 42 । कहानी का शीर्षक- “नाव की सैर”

एपिसोड- 42
दिनांक-21/11/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ ; समय-11:15am से 11:30am तक

आज की कहानी का शीर्षक- “नाव की सैर”

मीना अपने आँगन में राजू के साथ क्रिकेट खेल रही है| राजू को अभी जीतने के लिए छः रन और बनाने है वो भी एक गेंद में| 
राजू- माँ, मीना को देखो ना मैं जीत गया हूँ फिर भी ये......|
माँ- तुम भाई-बहिन के झगडे में मैं कुछ भी नहीं बोलने वाली|
तभी दीपू भागता हुआ आता है......
दीपू- मीना, राजू...पता है शाम को कौन आ रहा है?गोपी चाचा| ....माँ बता रही थी कि गोपी चाचा ने नयी नाव खरीद ली है बहुत बड़ी नाव| और आज शाम को वो मुझे सैर करायेंगे| तुम दोनों चलोगे मेरे साथ|
मीना इसके लिए अपनी माँ से अनुमति मांगती है|
माँ- हाँ..हाँ..जरूर जाओ|.....लेकिन बच्चों अपना ख्याल रखना|
मीना- दीपू शाम होने में अभी काफी समय है तब तक तुम हमारे साथ क्रिकेट खेल लो| तीनो खेलने लगता हैं|
मीना की माँ- मीना,...मधु को बुला लाओ| वो भी तुम्हारे साथ खेल लेगी|
मीना- लेकिन माँ तुम तो जानती हो मधु किसी से भी घुलना-मिलना पसंद नही करती|
माँ- वो अभी गाँव में नयी-नयी आयी है ना शायद इसी लिए| और फिर हो सकता है साथ खेलने से वो तुम्हारी दोस्त बन जाए|
मधु, बेला की चचेरी बहन थी जो कुछ दिन पहले ही अपने परिवार के साथ मीना के गाँव में रहने आयी है| मीना. मधु को बुला लाये और फिर दीपू, राजू,मीना और मधु ने क्रिकेट खेलना शुरु किया|
मधु से दीपू का कैच छुट जाता है| मधु रोंने लगती है|
मीना- अरे मधु! तुम रोंने क्यों लगी?
मधु- मुझसे कैच छुट गयी|
मीना- इसमें क्या बात है? कैच तो किसी से भी छुट सकती है|
मधु- नहीं...सब मेरी गलती है| मैं कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाती|
दीपू- मधु एक काम है जो तुम ठीक से कर पाओगी|
मधु-कौन सा काम दीपू?
दीपू- नाव की सैर|
मधु खुश हो जाती है और सकुचाते हुए अपनी रजामंदी भी दे देती है लेकिन अपने बाबा से पूँछने के बाद|
और फिर शाम को...........
सब बच्चों को वो लाल रंग की नाव बहुत अच्छी लगती है| गोपी चाचा नाव चलाना शुरु करते हैं| 
मीना, राजू, दीपू और मधु नाव की सैर का आनंद ले रहे थे| गोपी चाचा अपनी मस्ती में गीत गुनगुना रहे थे कि तभी जोर से छपाक की आवाज़ आयी|
“गोपी चाचा....मधु नदी मैं गिर गयी|” मीना चीखी|
गोपी चाचा ने आव देखा ना ताव और फौरन नदी में कूद गए| उन्होने मधु को नदी में डूबने से बचाया और तुरंत उसे नर्स बहिन जी के पास ले गए|
नर्स बहिन जी- गोपी भईया, मैंने मधु की जांच कर ली है| सब ठीक है|......मधु तुम नदी के पानी में गिरी कैसे? तुम झुकके नदी के पानी को छूने की कोशिश कर रही थी|
मधु- नर्स बहिन जी, दरअसल में पिछले कई दिनों से ढंग से सो नहीं पा रही थी| नाव की सैर करते हुए पता नही कब मेरी आँख लग गयी और मैं नदी मैं गिर गयी|
नर्स बहिन जी- मधु....तुम्हें ढंग से नींद ना आने का क्या कारण है?
मधु सकुचाते हुये उत्तर देती है, ‘नर्स बहिन जी, दरअसल काफी दिनों से मैं बहुत परेशान हूँ .....|बहुत से कारण है- मुझे सत्र के बीच में ही अपना स्कूल बदला पड़ा| नए सिरे से सारी तैयारियां करनी पड रहीं हैं| मुझे ये भी नहीं पता क्या बहिन जी क्या-क्या पढ़ा चुकी हैं.......|
.....फिर घर के काम में बेला दीदी की मदद करनी पड़ती है|
गोपी चाचा- नर्स बहिन जी मुझे लगता है कि मधु को इन सब बातों के कारण मानसिक तनाव हो गया है|
नर्स बहिन जी- आप ठीक कह रहे हैं गोपी भईया|
नर्स बहिन जी मधु को समझाती हैं, ‘........अपनी समस्या किसी दोस्त या बड़े को बताने से या खुद को अपनी मन पसंद रुचि में व्यस्त रखने से मानसिक तनाव दूर किया जा सकता है........|’
मीना- मधु मैं आज ही तुम्हें अपनी कापियां दे दूंगी और स्कूल का पिछला काम करने में तुम्हारी मदद भी करूंगी|

मीना, मिठ्ठू की कविता-

“जब भी किसी मानसिक तनाव से खुद को पाओ ग्रस्त 
फौरन किसी से बात करो या हो जाओ खेल में मस्त|”

आज का गाना- 

जब कभी टेंशन सताए, कौन दिमाग में शोर मचाये
क्या करें जब समझ न आये हम बताते हैं उपाय 
डरो नहीं मत घबराओ खेलो कूदो और गाओ
जो भी अच्छा लगता है काम वो करने लग जाओ 
खुश रहने का वादा करो टेंशन को टा-टा करो
टेंशन को टाटा करो, भई टेंशन को टाटा करो-२

तेरी मेरी उसकी इसकी सबकी है यही कहानी 
कौन है ऐसा नहीं जिसको ना कोई भी परेशानी 
दिलो दिमाग में टेंशन रखके होना नहीं उदास
जाके कहना किसी बड़े से न फिर किसी दोस्त के पास 
जी अपने हल्का करो और...टेंशन को टाटा करो
टेंशन को टाटा करो, भई टेंशन को टाटा करो-२

आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’

शब्द- ‘मदद’
म- मुंह (मुंह का मीठा होना)
द- दूध (दूध का दूध और पानी का पानी)
द- दांव (जान दांव पे लगाना)

आज की कहानी का सन्देश- 

अपनी समस्या किसी बड़े या दोस्तों को बताने से या अपनी रुचि के कार्य में व्यस्त हो जाने पर मानसिक तनाव कम हो जाता है ।

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1 Comments

  1. 📌 मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड 42 । कहानी का शीर्षक- “नाव की सैर”
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