नई दिल्ली: केंद्र सरकार के ठेका कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग निराशाजनक रहा है। केंद्र के लगभग सभी मंत्रालयों में ठेके पर तैनात हजारों कर्मचारियों को उम्मीद थी कि शायद उनके लिए भी कुछ घोषणा होगी लेकिन आयोग ने कोई ठोस सिफारिश नहीं की। इतना जरूर है कि सातवें वेतन आयोग ने ठेका कर्मचारियों का शोषण रोकने के लिए एक समान दिशानिर्देश बनाने की सिफारिश की है।
केंद्र सरकार में ठेका कर्मचारियों की वास्तविक संख्या कितनी है, इस संबंध में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। हालांकि सातवें वेतन आयोग का कहना है कि केंद्र में ठेका कर्मचारियों की संख्या अच्छी खासी है और इन पर सालाना करीब 300 करोड़ रुपये खर्च करती है।
ठेका कर्मचारियों के संबंध में आयोग ने एक समान दिशा निर्देश और माडल एग्रीमेंट बनाने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है ठेका कर्मचारियों की शोषण संबंधी चिंताओं को देखते हुए इस तरह के दिशानिर्देश जरूरी हैं। हालांकि आयोग ने ठेका कर्मचारियों के संबंध में गोपनीयता और जवाबदेही का ध्यान रखने को भी कहा है। आयोग ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी ठेके पर नियुक्ति करने का सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार में कर्मचारियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। यही वजह है कि सरकार को ठेके पर कर्मचारी रखने पड़ते हैं। मसलन, अमेरिका में प्रति लाख आबादी पर 668 सरकारी कर्मचारी हैं जबकि भारत में यह आंकड़ा महज 139 है। बीते दशक में इसमें अपेक्षानुरूप वृद्धि भी नहीं हुई है।
सातवें वेतन आयोग के अनुसार केंद्र सरकार असैन्य कर्मचारियों पर सालाना प्रति व्यक्ति 3.92 लाख रुपये खर्च करती है। इसकी तुलना में ठेका कर्मचारियों पर प्रति व्यक्ति व्यय काफी कम है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर सर्वाधिक प्रति व्यक्ति व्यय विदेश मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कर्मचारियों पर क्रमश: 35 लाख रुपये और 20 लाख रुपये सालाना खर्च किया जाता है।
0 Comments