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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

बीस दिन की पढ़ाई में अर्द्धवार्षिक परीक्षा! : अप्रैल में सत्र से बिगड़ी व्यवस्था, 3 नवम्बर को बेसिक शिक्षा सचिव ने सभी प्राथमिक स्कूलों को 16 से 26 नवंबर के बीच अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराने का दिया निर्देश

बीस दिन की पढ़ाई में अर्द्धवार्षिक परीक्षा! : अप्रैल में सत्र से बिगड़ी व्यवस्था, 3 नवम्बर को बेसिक शिक्षा सचिव ने सभी प्राथमिक स्कूलों को 16 से 26 नवंबर के बीच अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराने का दिया निर्देश

मानक पूरा करेंगे तो परीक्षा नहीं हो पाएंगी। रही बात कोर्स की तो अब सीसीई पैटर्न लागू है। ऐसे में शिक्षकों ने जितना पढ़ाया है उतने की परीक्षा ले ली जाएगी।
- प्रवीणमणि त्रिपाठी, 

लखनऊ : शहर के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। 3 नवंबर को बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा की ओर से एक निर्देश जारी किया गया है। इसमें सभी प्राथमिक स्कूलों को 16 से 26 नवंबर के बीच अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराने का निर्देश दिया गया है। ये हाल भी तब है जबकि स्कूलों में मात्र 20 दिन ही पढ़ाई हुई है। किसी भी स्कूल में किसी भी कक्षा का कोर्स पूरा नही हैं।

सरकारी स्कूलों में विगत तीस सितंबर तक एडमिशन लिए गए हैं। वहीं अक्टूबर में माह में गांधी जयंती, दशहरा और मोहर्रम को मिलाकर करीब दस दिन स्कूलों में छुट्टी रही है। ऐसे में स्कूलों में सिर्फ 20 दिन ही पढ़ाई हुई है। वहीं नवंबर में में दीपावली की छुट्टियां हो जाएंगी। ऐसे में 16 नवंबर से पहले सिर्फ एक सप्ताह ही अब पढ़ाई होगी। सूत्रों के मुताबिक अभी एक चौथाई कोर्स ही पूरा हुआ है। वहीं शिक्षकों के मुताबिक कोर्स पूरा होने में अभी एक माह का समय और लगेगा। लेकिन सचिव के आदेश के कारण परीक्षा अब पहले करानी होगी।

90 दिन क्लास का मानक

स्कूलों में साल भर की परीक्षा से पहले 180 दिन क्लास चलाने का मानक है। अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराने के लिए 90 दिन कक्षाएं कराना जरूरी हैं। ये मानक शिक्षा विभाग की ओर से ही निर्धारित किये गए हैं, लेकिन विभाग अब अपने ही मानकों का उल्लंघन कर रहा है।

अप्रैल में सत्र से बिगड़ी व्यवस्था

पहले फाइनल एग्जाम मई में होते थे। ऐसे में अर्द्धवार्षिक परीक्षा दिसम्बर या जनवरी में कराई जाती थी। इस साल से सरकारी स्कूलों का सत्र भी अप्रैल से शुरू किया जा रहा है। ऐसे में नवंबर में परीक्षा कराना विभाग की मजबूरी बन गया है। क्योंकि स्कूलों को अगले साल मार्च के अंत तक वार्षिक परीक्षा करा लेनी होगी।

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