मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) एपिसोड-23 | कहानी का शीर्षक- "निबन्ध प्रतियोगिता"
आज की कहानी का शीर्षक- “निबन्ध प्रतियोगिता”
स्कूल के सूचना पट पर जानकारी लिखी हुयी है-साथ वाले गाँव के स्कूल में निबन्ध प्रतियोगिता होने वाली है....प्रतियोगिता जीतने वाले को मिलेगा १००/- रुपये का नकद इनाम।...दीपू ये बात मीना को बता रहा है।
और फिर थोड़ी देर बाद मीना की क्लास में बहिन जी परिचय कराती हैं रामशरण जी से। रामशरण जी, साथ वाले गाँव के स्कूल में मास्टर हैं।
रामशरण जी- बच्चों,तुम्हे ये जानकर खुशी होगी कि दो दिन बाद हमारे स्कूल में निबन्ध लेखन की प्रतियोगिता होने वाली जा रही है और हर कक्षा से केवल एक बच्चा इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। इसीलिये मैं चाहता हूँ कि तुम सब मिलके अपनी कक्षा से किसी एक बच्चे को चुन लो। जिस बच्चे को तुम चुनोगे वही इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेगा।
मीना की कक्षा से चुना जाता है मोनू। मास्टर जी क्लास से बाहर निकले ही थे कि तभी उनकी मुलाकात हुयी मीना की माँ से।
रामशरण जी- क्या आप बता सकती हैं...प्रिंसिपल साहिबा का कमरा किधर है?
मीना की माँ, जो स्कूल प्रबन्ध समिति की अध्यक्ष हैं और आज सभा में भाग लेने आयीं है,परिचय देती हैं।
मास्टर जी ये जानके आश्चर्य करते हैं, “स्कूल प्रबन्ध समिति की मीटिंग में अभिभावक का क्या काम?”
मीना की माँ कहती हैं, ‘स्कूल प्रबन्ध समिति की सभा में हिस्सा लेना हर सदस्य अभिभावक का अधिकार ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है।
रामशरण जी- मैं भी एक अध्यापक हूँ लेकिन हमारे स्कूल मैं तो ऐसा कुछ नहीं होता।
मीना की माँ समझाती हैं, ‘...तो आप अब शुरुआत कीजिए। विद्यालय प्रबन्ध समिति में अभिभावकों की ७५% हिस्सेदारी होती है और सबसे बड़ी बात ये है कि कुल सदस्यों में ५०% महिलाएं होनी चाहिए। वैसे भी स्कूल के संचालन और पढाई-लिखाई में अभिभावकों का योगदान जरूरी है।
तभी बेंच के टूटने की आवाज आती है। मीना के माँ और मास्टर जी भाग के मीना की क्लास में पहुंचे। बेंच पर अधिक बच्चे बैठ जाने के कारण मोनू बैंच से नीचे गिर गया था और जोर-जोर से रो रहा था। बहिन जी मीना को नर्स बहिन जी को बुलाने भेजती हैं।
मीना फौरन ही नर्स बहिन जी को लेके आ जाती है। नर्स बहिन जी ने मोनू की जांच की और उसके हाथ पर मरहम लगायी और पट्टी बांध दी। बहिन जी ने मीना और दीपू से, मोनू को उसके घर तक छोड़ आने को कहा।
उनके जाने के बाद बहिन जी मीना की माँ से बोलीं, ‘..हमारे स्कूल की हर कक्षा में एक या दो बैंच टूटी हुईं हैं मुझे लगता है,हमें प्रिंसिपल साहिबा से इस विषय में बात करनी होगी।’
मीना की माँ- आप ठीक कह रही हैं बहिन जी, स्कूल प्रबन्ध समिति की सभा में हमें ये मुद्दा उठाना चाहिए।
और फिर स्कूल प्रबन्ध समिति की मीटिंग में....
प्रिंसिपल साहिबा- इस मीटिंग में सभी सदस्यों का स्वागत है...हमारे नियमित चर्चा बिन्दुओं के अलावा आज का मुख्य विषय है विद्यालय के संसाधन का रखरखाव।
मीना की माँ- प्रिंसिपल साहिबा अगर स्कूल में पर्याप्त संख्या में बेंच नहीं होंगे तो बच्चे आराम से बैठ नहीं पायेंगे।
“..और अगर बच्चों को आराम ही नही मिलेगा तो ठीक से पढाई कैसे करेंगे?” सुमी के पिताजी बोले।
प्रिसिपल साहिबा- सुमी के पिताजी मैं इस मामले की गम्भीरता को समझती हूँ इसीलिये मैं पिछले हफ्ते नए बेंच की अर्जी भी दी थी। लेकिन आप तो जानते ही हैं कि ऐसे कामों में थोडा समय लगता है।
मीना की माँ सुझाव देती हैं, ‘जब तक नए बेंच नहीं आ जाते हैं, क्यों न हम स्कूल के रखरखाव फंड से टूटे हए बेंचों की मरम्मत करवा लें।...प्रिंसिपल साहिबा मोनू के पिताजी एक बढ़ई हैं हम उनसे इस मामले में बात कर सकते हैं।’
मीना की माँ और समिति के सदस्य पहुंचे मोनू के घर, मोनू के पिताजी से टूटे हुए बेंच की मरम्मत की बात करने के बाद....
मीना की माँ- कैसे हो मोनू?दर्द कुछ कम हुआ।
बहिन जी- मोनू तुम्हारे हाथ पर तो पट्टी बंधी हुयी है ऐसी हालत में तुम निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग कैसे ले पाओगे?
मोनू- बहिन जी, नर्स बहिन जी ने कहा है कि कल तक मेरा हाथ बिलकुल ठीक हो जाएगा फिर मैं निबंध प्रतियोगिता में भाग लूँगा और जीतूँगा भी।
और फिर प्रतियोगिता के दिन.....
मोनू प्रतियोगिता जीत जाता है, उसे मिलता है १००/- रुपये का इनाम।...और ये १००/- रुपये मोनू देता है अपने पिताजी को।
मीना, मिठ्ठू की कविता-
“स्कूल प्रबंध समिति करती, हर अभिभावक का सत्कार
इसमें हिस्सा लेने का है हर अभिभावक को अधिकार।”
आज का गीत-
हो हो हो हो.......
अपने हाथ से अपने बच्चों का भविष्य बनाओ
स्कूल प्रबन्ध समिति से तुम जुड़ जाओ
वादा हैं हमें खुद से ही खाते हैं ये कसम
रोज अपने बच्चों को भेजेंगे स्कूल हम-२
फर्ज है ये अपना अब ही ये जिम्मेदारी
आने वाले कल की अब करनी है तैयारी
पौधों को देना है पेड़ों जैसा दम
रोज अपने बच्चों को भेजेंगे स्कूल हम-२
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आज ये सीखेंगे कल सिखलायेंगे
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आँखे खुशी से होंगी हमारी नम
रोज अपने बच्चों को भेजेंगे स्कूल हम-२
आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द-‘पलक’
‘प’- पीठ (पीठ थपथपाना)
‘ल’- लाठी (अंधे की लाठी)
‘क’- कान (कान भरना)
आज की कहानी का सन्देश-
“स्कूल प्रबंध समिति करती, हर अभिभावक का सत्कार
इसमें हिस्सा लेने का है हर अभिभावक को अधिकार|”
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