मन की बात : क्यों शिक्षक ही सबसे ज्यादा निलंबित होते हैं ? जाने पर्दे के पीछे का सच
क्यों शिक्षक ही सबसे ज्यादा निलंबित होते हैं ? - जाने पर्दे के पीछे का सच - रानी चौधरी
क्यों शिक्षक ही सबसे ज्यादा निलंबित होते हैं ? - जाने पर्दे के पीछे का सच
क्या आप जानते हैं ? की दुनिया में किसी भी विभाग की अपेछा बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षको पर सर्वाधिक निलंबन और वेतन रोकने की कारवाही होती है? उन्हें उन बातों को आधार बना कर निलंबित किया जाता है जो
हास्यास्पद और अस्चर्यचाकित करता है, कई बार आधार बड़े ही गम्भीर होते हैं लेकिन उन्हें केवल निलंबन के लिए आधार बनाया जाता है, क्या आप जानते हैं की किन किन बातों को आधार बना कर एक शिक्षक को निलंबित किया जा सकता है ???
१. शैक्षिक गुणवत्ता उत्तम ना होना , क्यों की कोई बच्चा १७ का पहाडा सुना नहीं पाया .
२. खाने में नमक या मसाले का सही ना होना .
३. परिसर में उचित सफाई ना होना या पेड़ पौधों की संख्या कम होना .
४. पुताई संतोष जनक ना होना , नील कम पड़ी है .
५. ५ मिनट देर से पहुचना या ५ मिनट पहले विधालय बंद करना .
६. शिक्षक डायरी ना भरी होना .
७. रजिस्टर का रखरखाव उत्तम ना होना .
८. फोन में बात करते हुए मिलना , जब की सारी सूचनाएँ विभाग फोन पर ही देता है.
ये कुछ बिंदु हैं जो केवल उदाहरण हैं , कई और ऐसे बिंदु हैं जिनको आधार बना कर शिक्षक के विरुद्ध निलंबन या वेतन रोकने की कार्यवाही कर दी जाती है.
पूरी दुनिया में ऐसे विभाग जहा एक गलती पर हजारों लोगो की जान तक जा सकती है , वहाँ भी निलंबन की कार्यवाही इतनी जल्दी नहीं की जाती है, उसमे भी पूरी स्तिथि पर विचार किया जाता है, कर्मचारी को अपनी बात कहने और स्पस्टीकरण के लिए समय दिया जाता है, उसके बाद ही निलंबन या वेतन रोकने की कारवाही की जाती है, असल में निलंबन और वेतन रोकने से केवल कर्मचारी ही प्रभावित नहीं होता है, बल्कि उसके ऊपर आश्रित उसका पूरा परिवार जिसमे उसकी माँ , पत्नी और बच्चे शामिल होते हैं, सभी प्रभावित होते हैं. एक निलंबन या वेतन रोकने की कार्यवाही असल मे पूरे परिवार के मुह से रोटी छीनने के सामान होती है . हमारे भारत में सामाजिक तानाबाना कुछ ऐसा है की एक परिवार का भरण पोषण उस परिवार के मुखिया के जिम्मे होता है, ऐसा में पूरा परिवार ही एक कार्यवाही से प्रभावित हो जाता है, लेकिन शिक्षा विभाग में तो निलम्बन और वेतन रोकना तो इतना आम है की एक दिन में 50, 60 शिक्षको के निलम्बन या वेतन रोकने की खबर आप को सुनने को मिल जायेगी.
. आखिर ऐसा क्यों है ? क्यों शिक्षक ही सबसे ज्यादा निलम्बन झेलता है ,क्यों शिक्षक ऐसी बातों को आधार बना कर निलम्बित किया जाता है जो हास्यास्पद हैं? क्यों निलम्बन की तलवार हमेशा उसके सर पर लटकती रहती है ?
मै आप को बताता हूँ पर्दे के पीछे का सच
............असल में निलंबन या वेतन रोकने की कारवाही के पीछे कोई सुधार की मंशा नहीं है ,ना अधिकारी कोई देश सेवा में ये काम कर रहा है, वरन इसके पीछे शिक्षा विभाग में घुन की तरह फैला भ्रस्टाचार है, शिक्षक के निलंबित होते ही अधिकारी के 30,000/- का इंतजाम हो जाता है. जैसे ही किसी शिक्षक को निलंबित किया जाता है, तो अगले दिन ही वो निलंबन से मुक्ति पा सकता है, उसे केवल 30,000/- की रकम का इंतजाम करना होता है, उसे ये रकम अपने अधिकारी तक पहचानी होती है . इस काम में मंझुआ की भूमिका निभाते हैं वहाँ के बाबू, इस बाबू का कमीशन फिक्स होता है, या ये शिक्षक से जितना अधिक निकलवा ले ये उसकी प्रतिभा पर निर्भर करता है, बहरहाल उसे एक निश्चित रकम अधिकारी को पहुचानी होती है उससे कम में काम नहीं होताहै, अभी चल रही निलंबन ठीक करवाई की फीस 25000 से 30000 है, ये रकम जमा करते हैं ही बिना कोई स्पस्टीकरण लिखे अगले दिन निलंबन से मुक्ति का पत्र लिया जा सकता है.
. अब अगर इस बात पर विचार किया जाये की यदि शिक्षक ये रकम नहीं अदा करता है, तो उसका निलंबन ये वेतन रोकने की कारवाही अमल में ला दी जाती है, फिर वो लाख स्पस्टीकरण लिखे उस पर कोई करवाई नहीं होती, 6 महीने बाद आर्थिक तंगी से परेशान हो कर वो 30 हजार की घूस भ्रस्ततंत्र को सौंपता है तब उसका वेतन चालू होता है. अब 6 माह से रुके हुए वेतन का का एरियर हुआ 1.8 लाख रूपए , अब इस एरियर को निकलवाने के लिए उसे फिर से घूस के रूप में कुल एरियर का 10 % यानि लगभग 18000/- देने होंगे, तब एरियर निकल जायेगा वर्ना एरियर सालो साल नहीं निकल सकता, 18000/- रुपये का टैक्स काट लिए जायेगा , कुल मिला के एरियर की रकम में से 36000/- की कटौती हो जायेगी, और 30 हजार रूपए वेतन शुरू करवाने या निलंबन के देने के बाद कुल खर्चा बैठा 68000/- रुपये . अतः एक शिक्षक वो काम पहले ही कर लेता है जो उसे 6 महीने बाद करना ही है .
अब आप स्वतः ही अंदाजा लगाइए की एक शिक्षक के निलंबन के पीछे कैसा पैसो का खेल चलता है, अब अगर आप कभी सुने की किसी शिक्षक का वेतन रोका गया या निलंबन की करवाई हुई तो आप समझ जाइयेगा की शिक्षक एक भ्रष्टतंत्र का शिकार हुआ है.
आभार : अपडेटमार्टस
1 Comments
Sahi hai par iska koi upaya hai ke nahi
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