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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा- शिक्षकों से क्यों बनवा रहे मिड-डे मील का खाना







इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिड-डे मील का खाना न बनाने पर निलंबित अध्यापक के निलंबन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार सहायता व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों से मिड-डे मील का खाना पकवा रही है और बर्तनों को धुलने को कह रही है।  हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य छोड़कर सरकार मिड-डे मील का खाना पकाने को मजबूर कर सकती है। 

 

जस्टिस अरुण टंडन और जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने जीतनारायण सिंह और अन्य कि विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए विभाग के सचिव से 29 अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि राज्य सरकार शिक्षकों को पढ़ाने व अन्य शैक्षणिक कार्य करने पर जोर देने के बजाए मिड-डे मील का खाना बनाने और जूठे बर्तन मांजने के लिए क्यों दबाव बना रही है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वह इस प्रकार की योजनाओं को लागू रखने के लिए क्यों न किसी योग्य व अन्य उपयुक्त लोगों को रख रही है। याचिकाकर्ता निलंबित टीचर का कहना था कि मिड-डे मील का खाना न पकाने को लेकर कहीं टीचरों को निलंबित किया जा रहा है तो कहीं उनका वेतन ही रोक दिया जाता है। 

 

बताते चलें कि शिक्षकों से मिड-डे मील का खाना पकाने और बर्तन साफ करने के मामले में मेरठ के प्रधानाचार्य परिषद व कई अन्य शिक्षक संगठनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इन याचिकाओं पर राज्य सरकार ने अपना जवाब भी दायर कर रखा है। सरकार का इन याचिकाओं के विरोध में कहना है कि खाना बनाने के लिए विद्यालयों में अलग से व्यवस्था है। किसी भी अध्यापक को खाना नहीं बनाना है, बल्कि उन्हें बने हुए भोजन का केवल टेस्ट कर निरीक्षण करना होता है, जिससे बच्चों को स्वादिस्ट व सुपाच्य खाना मील सके और उसमें किसी प्रकार का मिलावट न हो। 



Posted via Blogaway


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