यूपीः शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार पसोपेश में
शिक्षामित्रों के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दायर करने को लेकर पशोपेश में पड़ गई है।
मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने एसएलपी दायर करने की अनुमति दे दी है लेकिन बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी की मंशा सुप्रीम कोर्ट से बाहर मामला सुलझाने की है। दूसरी तरफ, समायोजित शिक्षामित्रों के वेतन को लेकर न्याय विभाग ने गेंद वित्त विभाग के पाले में डाल दी है।
हाईकोर्ट ने प्रदेश के 1.30 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन 11 सितम्बर को रद्द करते हुए इसे अवैध ठहरा दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से एसएलपी दायर करने के लिए राय मांगी थी। न्याय विभाग ने मामला मुख्य स्थायी अधिवक्ता को सौंप दिया था। अब जब अनुमति मिल गई है तब विभाग में इस बात पर चर्चा हो रही है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी या फिर केन्द्र सरकार के रुख का इंतजार करेगी? राज्य सरकार मामले को लम्बा खींचने के पक्ष में नहीं है। वह अपनी मंशा पर काम शुरू कर शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा से छूट देने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को पत्र लिख चुकी है।
वोट का गणित-मामला इसलिए भी फंस गया है कि एक तरफ शिक्षामित्र केन्द्र में प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखा चुके हैं तो प्रदेश के बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक भी इससे बड़ा संख्या बल प्रदर्शित कर चुके हैं। दोनों का उद्देश्य अपना संख्या बल जाहिर करना था। लिहाजा, केन्द्र सरकार भी वोट की गणित में दोनों पलड़ों को तौलेगी कि किस ओर पलड़ा झुकाने में फायदा है?
शिक्षामित्रों को वेतन देने का फैसला करेगा वित्त विभाग
समायोजन रद्द होने के बाद सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे 1.30 लाख शिक्षामित्रों का वेतन रोक दिया गया है। इस संबंध में विभाग ने न्याय विभाग की राय मांगी थी। अब न्याय विभाग ने यह मामला वित्त विभाग को संदर्भित कर दिया है।
सरकारी स्कूल में पढ़ने के मामले में मुख्यमंत्री करेंगे फैसला
सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में अनिवार्य रूप से पढ़ाने के मामले को लेकर अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फैसला करेंगे। हालांकि, मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी है लेकिन मुख्य सचिव ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के सामने मामला रखने का फैसला किया है।
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