इलाहाबाद : शिक्षामित्रों की वजह से सालों से विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षकों का वेतन रुक गया है। प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को वेतन भुगतान के लिए करीब एक पखवारे से मंथन कर रही है और उनकी फाइल यहां से वहां जा रही है। शिक्षामित्रों के संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। अन्य प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों का वेतन भी लटक गया है। दशहरे का त्योहार सिर पर है ऐसे में समय पर भुगतान न होने से शिक्षक परेशान हैं।
प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में तैनात एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सरकार चरणबद्ध तरीके से सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित कर रही थी। इसी बीच सितंबर में हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति एवं समायोजन को अवैध ठहरा दिया। उसके बाद से प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के लिए वेतन भुगतान आदि का रास्ता खोज रही है। इस संबंध में शासन ने विधिक राय मांगी तो सीएससी ने कोई निर्णय न करके फाइल बेसिक शिक्षा को वापस भेज दी है। वहां से भी अब तक कोई गाइड लाइन जारी नहीं हो सकी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी आदि दायर करने को लेकर भी मंथन चला। इस सारी कवायद का नतीजा यह सामने आया है कि शिक्षामित्रों को दुलार करते हुए सरकार ने अन्य शिक्षकों का वेतन रोक दिया है।
बताते हैं कि जब से बड़ी संख्या में शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित हुए उसके बाद से शिक्षक व समायोजित शिक्षामित्रों का वेतन बिल एक साथ जाता था। शिक्षामित्रों के संबंध में स्पष्ट निर्देश न होने के कारण शिक्षकों का सितंबर का वेतन भी अब तक नहीं मिल सका है जबकि हर माह शिक्षकों को आठ तारीख तक भुगतान मिल जाता रहा है। जैसे-जैसे वेतन भुगतान में विलंब हो रहा है, शिक्षक परेशान हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग के आला अफसर इस संबंध में खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि वे वेतन भुगतान नहीं कराते हैं। वहीं कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों का तर्क है कि शिक्षकों को वेतन मिलने में हो रहे विलंब का कारण है कि वेतन की ग्रांट जिलों में नहीं पहुंच सकी है।
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