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इन दो शिक्षकों (Teachers) का संघर्ष देख कह देंगे...शानदार, जबर्दस्‍त, जिंदाबाद : पैदल चलते हैं, फिर पार करते हैं नदी

इन दो शिक्षकों का संघर्ष देख कह देंगे...शानदार, जबर्दस्‍त, जिंदाबाद : पैदल चलते हैं, फिर पार करते हैं नदी




पैदल चलते हैं, फिर पार करते हैं नदी

शनिवार को भारत शिक्षक दिवस मनाने में व्यस्त होगा, लेकिन महाराष्ट्र के थाणे जिला स्थित एक स्कूल के दो शिक्षक इस दिन भी पहले 4 किलोमीटर पैदल चलेंगे, फिर तंसा नदी को पार कर के अपने स्कूल पहुचेंगे। 

पैदल चलना और फिर नदी पार करना इनकी नियति बन चुकी है। रविंद्र रेंगड और प्रमोद उंबेरसदा हर रोज इसी रास्ते से थाणे के शाहपुर तालुका स्थित बोराला गांव के जिला परिषद प्राइमरी स्कूल जाते हैं। 

ये स्कूल मुंबई की चकाचौंध से 80 किलोमीटर दूर है और शिक्षकों ये सफर तय करने के लिए 4 घंटे का वक्त लगता है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार को रविंद्र ने बताया कि मैं आज स्कूल जाना मिस नहीं कर सकता क्योंकि स्कूल में एक छोटा सा फंक्शन है।

फिर भी आते हैं स्कूल

शिक्षक दिवस के मौके पर हम सभी को वहां मौजूद रहना होगा। मेरे छात्र हर साल की तरह मुझे अपने हाथों से बने ग्रिटिंग कार्ड और फूल गिफ्ट करेंगे।

रविंद्र और प्रमोद� स्कूल जाने के लिए सुबह 6.30 बजे ही घर से निकल जाते हैं और 10.30 से 11 बजे के बीच पहुंचते हैं। मुझे हर रोज अकेले आना होता था, लेकिन जब जिला परिषद ने एक और शिक्षक का तबादला यहां कर दिया तब से हम दोनों बीते एक साल से साथ ही स्कूल आते हैं।

रविंद्र का कहना है कि इतनी बिगड़ी हुई दिनचर्या के बावजूद भी वो स्कूल आना पसंद करते हैं क्योंकि उनके छात्र उन्हें सम्मान देते हैं। रविंद्र जिला परिषद के इस स्कूल में बीते 8 साल से आ रहे हैं।

नदी पार करने के लिए उन्हें पीवीसी पीइप का सहारा लेना पड़ता है क्योंकि किसी तरह के नांव की सुविधा मौजूद नहीं है। बोराला गांव के इस स्कूल में अन्य शिक्षक पास के ही गांव के हैं, लेकिन रविंद्र और प्रमोद को नदी के पार स्थित गांव सवरदेव से आना पड़ता है।

       खबर साभार : अमरउजाला


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  1. इन दो शिक्षकों (Teachers) का संघर्ष देख कह देंगे...शानदार, जबर्दस्‍त, जिंदाबाद : पैदल चलते हैं, फिर पार करते हैं नदी
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