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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

दूरस्थ शिक्षा से बीएड को मंजूरी : इग्नू के साथ लविवि साइन करेगा एमओयू ; कार्य परिषद बैठक में तीन कॉलेजों के दाखिलों पर लगी रोक हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया

दूरस्थ शिक्षा से बीएड को मंजूरी : इग्नू के साथ लविवि साइन करेगा एमओयू ; कार्य परिषद बैठक में तीन कॉलेजों के दाखिलों पर लगी रोक हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया

लखनऊ। अब लखनऊ विश्वविद्यालय में से दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से भी बीएड की पढ़ाई कर सकेंगे। एनसीटीई से मंजूरी मिलने के बाद शनिवार को विश्वविद्यालय में आयोजित कार्य परिषद की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। बैठक में यह तय हुआ कि दूरस्थ्य शिक्षा से बीएड की पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय और इग्नू के बीच एमओयू साइन होगा।

बैठक में विश्वविद्यालय में दैनिक वेतनभोगी करीब 80 तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नियत वेतनमान देने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी गई।लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय ने बताया कि बैठक में सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। इसमें दूरस्थ शिक्षा से बीएड की पढ़ाई शुरू करने, बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजूकेशन, बीए-बीएड/बीएसी-एमएड इंटीग्रेटेड प्रोग्राम, बीएड पार्ट टाइम प्रोग्राम ऑफ थ्री इयर पाठ्यक्रम भी शुरू करने तथा इन पांचों पाठ्यक्रमों को लविवि में शिक्षा संकाय के अधीन चलाए जाने सहित कई प्रस्ताव शामिल थे। इसके अलावा लखनऊ विश्वविद्यालयों एवं सम्बद्ध कॉलेजों में एमसीए व एमबीए में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू किए जाने का प्रस्ताव भी पास कर दिया गया। कार्य परिषद बैठक में तीन कॉलेजों के दाखिलों पर लगी रोक हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया था। जिसमें सूर्या इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, वनस्थली ज्ञानपीठ गर्ल्स डिग्री कॉलेज और अकबरी बेगम लॉ कॉलेज शामिल हैं। इन कॉलेजों से रोक हटा ली गई है। अब यहां दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।

इसके अलावा कार्य परिषद की बैठक में नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बीए, बीएससी, बीकॉम, एमए अर्थशास्त्र, एमए समाजशास्त्र, एमए एआईएच और एमए गृहविज्ञान विषयों की अस्थायी सहयुक्तता देने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया। वहीं, पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला विद्यालय में बीए, बीएससी, बीकॉम, एमए अर्थशास्त्र, एमए समाजशास्त्र, एमए इतिहास और एमए गृहविज्ञान विषयों की अस्थायी मान्यता विस्तार पर भी निर्णय ले लिया गया।

      खबर साभार : डीएनए

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