किस बात का बहिष्कार जब नहीं रह गए शिक्षामित्र : शिक्षामित्रों का विद्यालय बंद करवाना असंवैधानिक
√प्रदेश सरकार ने पहले ली होती राय तो न होती फजीहत
√प्राथमिक विद्यालयों में 15 वर्ष की सेवा के बाद आखिर अब कहां जाएं शिक्षामित्र
शिक्षामित्रों की ओर से किए जा रहे कार्य बहिष्कार पर ही सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, कार्य बहिष्कार वाले सरकारी दस्तोवेजों में शिक्षामित्र नहीं रह गए हैं। सहायक अध्यापक बनाए जाने से पहले उनसे शिक्षामित्र के पद से इस्तीफा ले लिया गया था। इसके बाद यह प्राथमिक विद्यालय में संविदाकर्मी नहीं रह गए। अब हाईकोर्ट की ओर से शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन भी निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के लिए शिक्षामित्र के पद से इस्तीफा देने वालों के पास कुछ नहीं बचा है, सो सवाल उठ रहे हैं कि जब कोई शिक्षामित्र ही नहीं रह गया तो कार्य बहिष्कार कैसा। अगर प्रदेश सरकार ने समायोजन से पहले केंद्र सरकार और एनसीटीई से इस बारे में राय ली होती तो शायद यह परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। टीईटी पास करने के बारे में एनसीटीई से राय लेकर समायोजन किए जाने की स्थिति में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सही हो सकती थी लेकिन प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को अंधेरे में रखा और उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षामित्रों के साथ सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि अब शिक्षामित्रों का विद्यालय बंद करवाना असंवैधानिक है।
प्राथमिक विद्यालयों में 15 वर्ष की सेवा के बाद आखिर अब कहां जाएं शिक्षामित्र
प्रदेश सरकार ने पहले ली होती राय तो न होती फजीहत
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किस बात का बहिष्कार जब नहीं रह गए शिक्षामित्र : शिक्षामित्रों का विद्यालय बंद करवाना असंवैधानिक
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