यूपी में शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से राहत की बँधी उम्मीद : शिक्षामित्र नेताओं ने बुधवार को लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी से मुलाकात कर पूर्वोत्तर राज्य के मॉडल को सौंपा और मांग की कि जब तक मौलिक नियुक्ति की अड़चन दूर नहीं हो जाती तब तक त्रिपुरा मॉडल के आधार पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाए
शिक्षामित्रों के लिए अब दूसरे विकल्पों पर मंथन : शिक्षकों के बराबर वेतन-भत्ते देने की कवायद, त्रिपुरा मॉडल पर भी हो सकता है विचार
लखनऊ। राज्य सरकार को भले ही अभी हाईकोर्ट के आदेश की प्रति न मिली हो लेकिन वह शिक्षामित्रों के लिए दूसरे विकल्पों पर मंथन में जुट गई है। हाईकोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद भी सरकार शिक्षामित्रों की हरसंभव मदद करना चाहती है। वह चाहती है कि यदि इन्हें स्थायी शिक्षक नहीं बनाया जा सकता है तो शिक्षा सहायक या अन्य किसी नाम से शिक्षकों के बराबर वेतन व अन्य भत्ते दिए जाएं।
सरकार इस बार कोई चूक नहीं चाहती, इसलिए सभी पहलुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श किया जा रहा है। मंत्री और अधिकारी शिक्षामित्रों के संगठनों से बातचीत कर उनसे दूसरे फॉर्मूलों पर सुझाव मांग रहे हैं। कुछ लोगों ने त्रिपुरा मॉडल का सुझाव दिया है। वहां शिक्षामित्रों की तर्ज पर सर्व शिक्षा अभियान में भर्तियां की गई थी। इनको कॉट्रेक्ट शिक्षक का नाम देते हुए शिक्षकों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। टीईटी कराने या इससे छूट देने का अधिकार भले ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के पास है लेकिन शिक्षकों की सेवा शर्तें तय करने का अधिकार तो राज्य सरकार के पास है। इसलिए सरकार अपने हिसाब से वेतनमान व भत्ते तय करते हुए शिक्षामित्रों को लाभ पहुंचा सकती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बुधवार को इसका संकेत दिया। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि राज्य सरकार शिक्षामित्रों के साथ है। उनके लिए दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है।
खबर साभार : अमरउजाला
सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद आर्थिक संकट का सामना कर रहे शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से उम्मीद बंधी है। शिक्षामित्र नेताओं ने बुधवार को लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी से मुलाकात कर पूर्वोत्तर राज्य के मॉडल को सौंपा और मांग की कि जब तक मौलिक नियुक्ति की अड़चन दूर नहीं हो जाती तब तक त्रिपुरा मॉडल के आधार पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाए।
दरअसल त्रिपुरा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत रखे गए संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाता है। वहां इन शिक्षकों को मातृत्व अवकाश, पितृत्व अवकाश से लेकर अन्य सभी सुविधाएं नियमित शिक्षकों की तरह दी जाती हैं। यही नहीं हर छह महीने पर नियमित शिक्षकों की तरह वेतन में भी वृद्धि होती है।
इसी महीने तीन सितम्बर को त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों का वेतन संशोधित किया गया है। पांच साल पूरा कर चुके स्नातक संविदा शिक्षकों को 21,933 और इससे कम अनुभव वालों को 14,260 जबकि इंटर पास पांच साल से अधिक अनुभव वालों को 17,351 व इससे कम अनुभव वालों को 11,211 वहां की सरकार दे रही है। उत्तर प्रदेश में प्रतिमाह 30,211 वेतन मिल रहा है।
यदि त्रिपुरा का मॉडल उत्तर प्रदेश सरकार भी लागू कर देती है तो सहायक अध्यापकों के समान शिक्षामित्रों को भी 30,211 वेतन मिलने लगेगा। इसे लागू करने में कोई विधिक अड़चन भी नहीं दिख रही क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक राज्य में यह व्यवस्था छह साल से चली आ रही है। फिलहाल प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के समान वेतन मिल रहा है। हमने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संबंधी अड़चन जब तक दूर नहीं हो जाती, तब तक इसी मॉडल के अनुसार वेतन दिया जाए ताकि आर्थिक संकट दूर हो सके।
-कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
खबर साभार : हिन्दुस्तान
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यूपी में शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से राहत की बँधी उम्मीद : शिक्षामित्र नेताओं ने बुधवार को लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी से मुलाकात कर पूर्वोत्तर राज्य के मॉडल को सौंपा और मांग की कि जब तक मौलिक नियुक्ति की अड़चन दूर नहीं हो जाती तब तक त्रिपुरा मॉडल के आधार पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाए : समस्त जानकारी के लिए क्लिक कर पढ़ें |
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