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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या सुसाइड के मामले सामने आये : माननीय हाईकोर्ट का फैसला शिक्षामित्रों पर कहर बनकर टूटा

प्रदेश के अलग-अलग जिलों में शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या सुसाइड के मामले सामने आये : माननीय हाईकोर्ट का फैसला शिक्षामित्रों पर कहर बनकर टूटा

कन्नौज (उत्तर प्रदेश). प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को एडजस्‍ट करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं। अब तक 6 शिक्षामित्र मर चुके हैं।

कन्नौज: यहां प्राइमरी स्कूल जनखत में तैनात शिक्षामित्र बाबू सिंह ने फांसी लगाकर सुसाइड किया।

गाजीपुर: शिक्षामित्र ने सल्फास खाकर की खुदकुशी।
लखीमपुर खीरी: फूलबेहड़ ब्लॉक के शिक्षामित्र ने जहर खाकर की आत्महत्या।
बस्ती: यहां के भानपुर में एक शिक्षामित्र को कोर्ट के फैसले के बाद सदमा लगा। दिमाग की नस फटने से मौत हुई।
एटा: शिक्षामित्र महिपाल सिंह ने खुद को गोली मारकर दी जान।
मिर्जापुर: यहां एक शिक्षामित्र ने फंदे से लटककर की आत्महत्या। 

 

क्या है हाईकोर्ट का फैसला?

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र टीचरों का अप्वाइंटमेंट हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया है। हाईकोर्ट में शनिवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इनके अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था।

 

क्यों कैंसिल हुई अप्वाइंटमेंट?

शिक्षामित्रों को अप्वाइंट करने को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में एडजस्‍ट करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की कई दिन तक दलीलें सुनीं।

 

किस ग्राउंड पर ऑर्डर?

हाईकोर्ट ने कहा, ''चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलि‍ए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इन्हें अप्वॉइंट नहीं किया जा सकता।'' शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें एडस्ट करने का फैसला लिया है। इसलि‍ए इनके अप्वाइंटमेंट में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का सिलेक्शन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी ​दूर करने ​के ​लि‍ए ​किया गया है।

 

क्या कहते हैं शिक्षामित्र?

सोनभद्र में शिक्षामित्र पी.एस. खराटिया ने बताया, "हाईकोर्ट का फैसला सुनने के बाद ऐसा लगा जैसे मेरी जान चली गई। कोर्ट का ये फैसला लंबे अरसे से रोजगार की आस लगाए बैठे शिक्षामित्रों पर कहर बनकर टूटा है। अप्वॉइंटमेंट कैंसिल होने से परेशानियां बढ़ गई हैं।" वहीं, लखनऊ की शिक्षामित्र सुजाता का कहना है, "कई साल से सहायक टीचर बनने की उम्मीद लगा रखी थी, कोर्ट के फैसले ने इसे एक पल में तोड़ दिया।"

        खबर साभार : दैनिकभाष्कर

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  1. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या सुसाइड के मामले सामने आये : माननीय हाईकोर्ट का फैसला शिक्षामित्रों पर कहर बनकर टूटा
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