सेटेलाइट तकनीक रोकेगा बीएड काॅलेजों का फर्जीवाड़ा : देश में पहली बार तैयार किया जा रहा जीआईएस डाटा ; एनसीटीई ने जारी किए आदेश, एक माह में मांगी रिपोर्ट
√एक क्लिक पर मिलेगी लाइव लोकेशन और तस्वीर
√देश में पहली बार तैयार किया जा रहा जीआईएस डाटा
√एनसीटीई ने जारी किए आदेश, एक माह में मांगी रिपोर्ट
√रिपोर्ट जारी नहीं करने पर डिफाल्टर घोषित होंगे संस्थान
रुड़की। अब सेटेलाइट तकनीक से देश में बीएड कालेजों के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) जीआईएस डाटा बेस तैयार कर रहा है। इसके वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद एक क्लिक पर घर बैठे किसी भी संस्थान की लोकेशन और लाइव तस्वीर आपके सामने होगी। इसके लिए एनसीटीई ने सभी कालेजों को एक माह में जीआईएस डाटा संबंधित सूचनाएं अपलोड करने के आदेश दिए हैं। इस कवायद के बाद बीएड कालेजों को मान्यता देने और इनकी माॅनीटरिंग करने वाली संस्था एनसीटीई तकनीकी के मामले में इंजीनियरिंग काॅलेजों को मान्यता देने वाली संस्था एआईसीटीई से एक कदम आगे बढ़ जाएगी। सूचना नहीं देने वाले संस्थानों को डिफाल्टर घोषित कर उन पर कार्रवाई की जाएगी।
एनसीटीई उत्तर क्षेत्रीय समिति के क्षेत्रीय निदेशक डा. एसके चौहान की ओर से विगत 22 सितंबर, 2015 को जारी आदेश में बताया गया है कि एनसीटीई सभी बीएड कालेजों के लिए जीआईएस डाटा तैयार कर रही है। जिसके तहत कालेजों से एक माह में इससे संबंधित जानकारी मांगी गई है। आदेश में कहा गया है कि निर्धारित समय तक मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध न कराने पर इसे एनसीटीई एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। साथ ही संबंधित संस्थानों को डिफाल्टर घोषित करते हुए नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। एनसीटीई डिजिटल फोटोग्राफ सहित अन्य सेटेलाइट बेस्ड जीआईएस डाटा को वेबसाइट पर अपलोड करेगा। जिसके बाद देश भर के सभी मान्यता प्राप्त संस्थानों की तस्वीर आपके सामने होगी।
लोंगिट्यूड पोजिशन (देशांतर स्थिति) साफ करेगी तस्वीर
काॅलेजों से मांगी गई जीआईएस डाटा सूचनाओं में संबंधित की लांगिट्यूड पोजिशन भी मांगी गई है। जिसके जरिए जीआईएस तकनीकी से हमें संबंधित संस्थान की सेटेलाइट इमेज एवं लोकेशन प्राप्त होगी। इसमें संस्थानों तक पहुंचने वाले मार्ग और बिल्डिंग का ऊपरी भाग स्पष्ट दिखाई दे सकेगा।
इस तरह रुकेगा फर्जीवाड़ा
कई बीएड एडमिशन में फर्जीवाड़ा करने वाले लोग फर्जी भूमि या फिर किसी अन्य संस्थान की बिल्डिंग दिखाकर छात्रों के साथ धोखाधड़ी कर लेते हैं। कई बार होता यह है कि संस्थान जहां बताया जाता है, वहां उसका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। ऐसे में सेटेलाइट बेस्ड डाटा उपलब्ध होने पर एनसीटीई की वेबसाइट पर उसकी प्रमाणिक लोकेशन और अन्य जानकारी घर बैठे मिल सकेगी।
खबर साभार : अमरउजाला
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