शिक्षामित्रों के लिए दूसरे विकल्पों पर माथापच्ची शुरू : आउटसोर्सिंग से रखकर फिक्स वेतन पर विचार; उम्र बन सकती है इस राह में रोड़ा
√इसके बाद ही उठाया जाएगा कोई कदम
√एसएलपी दाखिल करने पर भी राय मांगी गई है
√उम्र बन सकती है इस राह में रोड़ा
लखनऊ। राज्य सरकार शिक्षामित्रों के लिए सहायक अध्यापक पद से हटकर दूसरे विकल्पों पर तेजी से विचार में जुट गई है। इसके तहत उन्हें आउटसोर्सिंग के जरिये फिक्स वेतन पर रखने की दिशा में भी मंथन चल रहा है। उच्चाधिकारियों का मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से राहत नहीं मिलती है तो इस दिशा में भी विचार हो सकता है। उच्चाधिकारियों ने इस संबंध में शिक्षामित्रों के नेताओं से भी बातचीत की है। हालांकि आउटसोर्सिंग के मुद्दे पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री स्तर से ही लिया जाएगा।
राज्य सरकार ने स्नातक पास शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय किया था। इसके आधार पर प्रदेश में दो चरणों में पहले 58,826 और दूसरे चरण में 77,000 शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने इसे अवैध ठहराते हुए इनका समायोजन रद्द कर दिया है। बता दें मौजूदा समय में सूबे के प्राइमरी स्कूलों में 1.70 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं।
शिक्षामित्रों के लिए निकले बीच का रास्ता
राज्य सरकार चाहती है कि शिक्षामित्रों के लिए कोई बीच का रास्ता निकाल लिया जाए। इसके लिए मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। कमेटी को जल्द ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रिपोर्ट सौंपनी है। इसके आधार पर ही शिक्षामित्रों के बारे में निर्णय किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस पर विचार किया जा रहा है कि एनसीटीई से अनुमति लेकर शिक्षामित्रों को टीईटी पास करने की छूट दे दी जाए और जैसे-जैसे वह पास होते जाएं, उन्हें नए सिरे से सहायक अध्यापक के पद समायोजित किया जाता रहे।
उम्र बन सकती है इस राह में रोड़ा
आउटसोर्सिंग के जरिये शिक्षामित्रों को रखकर फिक्स वेतन देने मामले में उनकी आयु सबसे बड़ी दुविधा है। दरअसल राज्य सरकार ने पूर्व में तय किया था कि 60 वर्ष में अगर कुछ महीने बाकी रहते हैं तो भी उन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया जाएगा। नए सिरे से शिक्षामित्रों के बारे में निर्णय लिए जाने पर अधिक आयु वालों पर संकट खड़ा हो सकता है।
खबर साभार : अमरउजाला
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