हंसाने के साथ रुला भी रही है सोशल मीडिया : युवा बिना इंतजार किए प्रतिष्ठित होना चाहता है, और जब चाह नहीं पूरी होती तो वे आक्रामक व आपराधिक कार्यों को करने से नहीं डरते।
महराजगंज : सोशल मीडिया की बादशाहत पूरे समाज के सिर चढ़कर बोल रही है। हर आयु वर्ग के लोग इसकी गिरफ्त में हैं। यह लोगों को हंसाने के साथ रुलाने भी लगी है। अब तो नाबालिग भी इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं, जो समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है। सोशल मीडिया के ही अंग फेस बुक ने दो वर्ष पहले पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के काठमांडू से गायब भाई को फेसबुक के जरिए भारत में मिला दिया। अगस्त 2012 में काठमांडू से रहस्यमय हालात में गायब 25 वर्षीय सुमित झा को दो नवंबर 14 को फेस बुक ने परिवार से मिलाया था। बड़े भाई 27 वर्षीय अमित झा ने बताया था कि छोटे भाई के गायब होने के बाद बहुत ढूंढा पर जब वह नहीं मिला तो एक वर्ष पहले फेसबुक पर उसकी फोटो डाली। इसका सार्थक परिणाम निकला और फेसबुक पर फोटो डालने के एक वर्ष के बाद हमारा छोटा भाई हमें मिल गया। इस खबर को दैनिक जागरण ने दो नवंबर 14 के अंक में प्रकाशित किया था। यह रहा सोशल मीडिया का सकारात्मक पहलू। इसके नकारात्मक पहलू पर जागरण ने समाज शास्त्रियों व मनोवैज्ञानिकों से बात की। प्रस्तुत है उनके विचार
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डा. अभिमन्यु ¨सह ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग सभी को करना चाहिए पर इसकी मानीट¨रग भी होनी चाहिए। इसके उपयोग के लिए समय का निर्धारण होना चाहिए। क्योंकि इस पर अच्छी के साथ ही खराब जानकारियां भी उपलब्ध हैं। सोशल मीडिया पर अच्छी व सच्ची जानकारी डाली जानी चाहिए।
---युवाओं में बढ़ती अतिसक्रियता व उसके दुष्परिणाम
-डा. देवेन्द्र कुमार पाठक कहते हैं कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया के प्रयोग ने युवाओं को समय से पहले आक्रांत कर दिया है। युवा तुरंत पहचान बनाना चाहता है। बिना इंतजार किए प्रतिष्ठित होना चाहता है, और जब चाह नहीं पूरी होती तो वे आक्रामक व आपराधिक कार्यों को करने से नहीं डरते।
--नकारात्मक प्रवृत्ति पर रोक जरूरी
समाजशास्त्र की प्रवक्ता दीपमाला पटेल कहती हैं कि सोशल मीडिया के फायदे तो बहुत हैं, पर इसने युवाओं को दिग्भ्रमित भी खूब किया है। इस पर धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाले बयान नहीं आने चाहिए। अश्लील वीडियो पर पाबंदी होनी चाहिए और इस पर प्रभावी अंकुश के लिए कठोर कानून बनाकर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
--अच्छी चीजें परोसने से रुकेगी आपराधिक प्रवृत्ति
--डा. प्रज्ञेश कुमार मिश्र ने कहा कि सोशल मीडिया पर अच्छी जानकारियों व चीजें परोसने से युवाओं में आपराधिक प्रवृत्ति रुकेगी और सोशल मीडिया का साइड इफेक्ट नहीं पड़ेगा। दरअसल मानव की प्रवृत्ति अनुकरणात्मक होती है। समाज में जैसा परोसा जाएगा वैसा ही लोग अनुसरण करेंगे।
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