राज्य सरकार को मिली हाईकोर्ट के शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने वाले आदेश की प्रति : कानूनी राय लेकर निकाला जाएगा रास्ता ; चार राज्यों के मॉडल पर विचार
लखनऊ (ब्यूरो)। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश की प्रति राज्य सरकार को शुक्रवार को मिल गई। सरकार अब इस पर कानूनी राय लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। विभागीय जानकारों की मानें तो हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से दिए गए दो वर्षीय प्रशिक्षण पर कोई खास टिप्पणी नहीं की है। सरकार इसे आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट से राहत प्राप्त करने की तैयारी में जुट गई है।
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उधर, शिक्षामित्र संयुक्त मोर्चा के गाजी इमाम आला ने शुक्रवार को बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी से मुलाकात कर उनसे हाईकोर्ट के आदेश के बारे में चर्चा की। मोर्चा ने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने उनके प्रशिक्षण को अवैध नहीं ठहराया है। मोर्चा के जितेंद्र कुमार शाही ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के बाद परिषदीय स्कूलों में कोई भी गैरप्रशिक्षित शिक्षक नहीं रह सकता है। राज्य सरकार ने एनसीटीई से अनुमति लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया। अब एनसीईटी कह रही है कि शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए उससे अनुमति नहीं ली गई।
प्रशिक्षण पर टिप्पणी न होने को बनाया जा सकता है आधार : चार राज्यों के मॉडल पर विचार
विभागीय जानकारों की मानें तो त्रिपुरा, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में शिक्षामित्रों को राहत देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मंगाई गई है। सरकार इसके आधार पर भी शिक्षामित्रों के लिए राहत निकालने के विकल्प तलाश रही है।
शिक्षामित्रों का रुख नरम, खोला स्कूलों का ताला
हाईकोर्ट के आदेश पर समायोजन रद्द होने के बाद से आंदोलित शिक्षामित्रों ने शुक्रवार को स्कूलों का ताला खोल दिया। हालांकि उन्होंने शिक्षण कार्य का बहिष्कार जारी रखा। शिक्षामित्र संयुक्त मोर्चा के अनिल कुमार यादव व अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि बेसिक शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी। इसलिए शिक्षामित्र अब स्कूलों में तालाबंदी नहीं करेंगे। स्कूल बंद होने के बाद ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर प्रदर्शन करेंगे।
खबर साभार : अमरउजाला
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