इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन और उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के बैनर तले शिक्षामित्रों ने कक्षाओं के बहिष्कार का भी निर्णय लिया है। शिक्षामित्र स्कूल तो जांएगे लेकिन शिक्षण कार्य नहीं करेंगे। जिले में तकरीब 3700 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया था। प्रदेश सरकार ने नियमावली में संशोधन करते हुए 2011 में शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से बीटीसी का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया था। तीन चरणों में प्रशिक्षण के बाद अलग-अलग चरणों में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजित करने की प्रक्रिया जुलाई 2015 में समाप्त हुई थी। ज्यादातर शिक्षामित्रों को दूर दराज के एकल विद्यालयों में नियुक्ति दी गई। जिससे वहां की शिक्षण व्यवस्था को सुधारा जा सके। शिक्षामित्रों के बहिष्कार से शिक्षण व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही का कहना है कि जब तक Jउन्हें प्रदेश सरकार से कोई लिखित आदेश नहीं आ जाता विद्यालय का बहिष्कार किया जाएगा। शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। शिक्षामित्रों का कहना था कि उन्होंने बेसिक शिक्षा को 15 वर्ष दिए हैं। संघ की 15 सितंबर को बैठक बुलाई गई है। बैठक में प्रदेश के सभी जिलाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष समेत सभी सदस्य शामिल होंगे। उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला का कहना है कि संघ लड़ाई को जारी रखेगा। कहा कि एनसीटीई ने अलग-अलग राज्यों में शिक्षामित्रों के लिए अलग-अलग निर्णय देकर नाइंसाफी की है। एनसीटीई ने उत्तराखंड में शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दी लेकिन उप्र में नहीं। जिस वजह से 1.70 लाख शिक्षामित्रों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। एसोसिएशन के जिला मीडिया प्रभारी संतोष कुमार शुक्ल ने बताया कि पदाधिकारी रविवार को लखनऊ में शिक्षा मंत्री से मुलाकात करेंगे। जिसके बाद आगे की नीति तय होगी। फिलहाल जिले में शिक्षामित्र कार्य बहिष्कार करेंगे। बिना जरूरी कदम उठाए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने से शिक्षामित्रों के बड़े वर्ग में प्रदेश सरकार और शिक्षक नेताओं से नाराजगी है। वर्तमान स्थिति के लिए वे सरकार की गलत नीतियों को दोषी देते हुए खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। शिक्षामित्र विपिन, किशोर, मालती, प्रतीक्षा कहती हैं कि प्रदेश सरकार ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए उनका फायदा उठाया है। उनका कहना है कि स्थायी बनाने का ऐलान हुआ तो उन्हें यह उम्मीद थी कि सरकार इसके लिए जरूरी कदम उठाएगी। सरकार शिक्षा नियमावली, एनसीटीई के मानकों और भर्ती के तमाम तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें सहायक अध्यापक बनाएगी। शिक्षक नेताओं ने भी उन्हें भरोसा दिलाया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसकी वजह से वे दोराहे पर आ गए हैं। उनका कहना है कि शिक्षामित्र नेताओं ने भी इस बात पर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझी की मानकों का पालन हो रहा है या नहीं। अब परिणाम सबके सामने है। शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनने के बाद शिक्षामित्रों की जिंदगी बदल गई थी। समायोजन के बाद उन्हें साढ़े तीन हजार रुपये मानदेय से तकरीबन 30 हजार रुपये वेतन मिलने लगा था। अच्छा वेतन मिलने से उनकी तंगहाली काफी हद तक खत्म हो गई थी। घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना और दुकानों पर एकाउंटेंट का काम करना बंद कर दिया था। अब सभी अपने को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। मीरापुर के सतीश, मेजा के सुहेल, मऊआइमा को विकास कहते हैं कि फिर से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। शिक्षा मित्रों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति रद्द होने के साथ ही बीएडधारकों तथा बीटीसी प्रशिक्षितों की ओर से भर्ती की मांग भी तेज होने की बात कही जा रही है। एक संगठन ने इसकी मांग शुरू भी कर दी है। इनकी तरफ से भर्ती की मांग को लेकर हाईकोर्ट में पहले से याचिका दाखिल की गई है। उनका कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के लाखों पद खाली हैं। उन पर उनकी नियुक्ति की जानी चाहिए। पांच साल पहले ही प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के ढाई लाख से अधिक पद खाली होने की बात कही गई थी। इस दौरान 18 हजार बीटीसी प्रशिक्षितों की भर्ती की गई। इनके अलावा विशिष्ट भर्ती के तहत 58 हजार प्राथमिक शिक्षक नियुक्त हुए। इसके विपरीत इस दौरान 50 हजार से अधिक शिक्षक रिटायर हो गए। अब शिक्षामित्रों की नियुक्ति भी रद्द हो गई है। ऐसे में बीएडधारी, बीटीसी पास तथा टीईटी उत्तीर्ण प्रतियोगियों द्वारा इन पदों पर भर्ती की मांग तेज होने की बात कही जा रही है। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गणित-विज्ञान के सहायक शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र देने की मांग की है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा। अभ्यर्थी सोमवार को सचिव से भी मिलेंगे।
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