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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

फेसबुक पर पढ़ा रहे नैतिक शिक्षा का पाठ : वैचारिक मतभिन्नता के प्रति सहनशीलता की कमी इस 'वर्चुअल व‌र्ल्ड' में अश्लीलता और असंसदीय भाषा तक ले जाती

फेसबुक पर पढ़ा रहे नैतिक शिक्षा का पाठ : वैचारिक मतभिन्नता के प्रति सहनशीलता की कमी इस 'वर्चुअल व‌र्ल्ड' में अश्लीलता और असंसदीय भाषा तक ले जाती

फर्रुखाबाद : वक्त के साथ बदले बुजुर्गों ने जिस तेजी से सोशल मीडिया को आत्मसात किया वह हैरान करने वाला है, लेकिन अभी भी वैचारिक मतभिन्नता के प्रति सहनशीलता की कमी इस 'वर्चुअल व‌र्ल्ड' में अश्लीलता और असंसदीय भाषा तक ले जाती है। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर आजीविका चलाने वाले बुजुर्ग शिक्षक विनय कपूर फेसबुक पर खासे सक्रिय रहते हैं। वह अक्सर लोगों को सोशल मीडिया के सिविक सेंस का पाठ पढ़ाते भी दिखते हैं। कई बार लोग उनके कमेंट के बाद अपने कमेंट हटा भी लेते हैं। विनय कपूर लगभग दिन भर फेसबुक पर सक्रिय रहते हैं। उनकी फ्रेंड्स लिस्ट में देशभर के लगभग चार हजार लोग शामिल हैं। अधिकांश लोग बुद्धजीवी वर्ग से हैं। गंभीर बहस के दौरान कभी कभी अमर्यादित टिप्पणी मजा खराब कर देती है। कोई संसदीय भाषा की लक्ष्मण रेखा लांघता है तो विनय कपूर के तेवर तल्ख हो जाते हैं। उसे इस मंच का सही इस्तेमाल करने की सलाह देकर सुधरने की नसीहत देते हैं। बताते हैं कि सोशल मीडिया अब गंभीर ¨चतन, बौद्धिक विमर्श व राजनैतिक आलोचनाओं तक पहुंच गया है। इसमें हर उम्र, आयुवर्ग व राजनैतिक विचारधारा से जुड़े लोग जुड़ रहे हैं। इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। जिनकी वजह से साइबर अपराध भी बढ़ते हैं। अभद्र टिप्पणियां करने वालों को वह ब्लैक-लिस्ट करने से पूर्व एक बार चेतावनी जरूर देते हैं। अक्सर लोग गलती स्वीकार भी कर लेते हैं। मनोविज्ञान विषय पर शोध कर रहे राजीव सचान बताते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। सोशल मीडिया के भी कई नकारात्मक पक्ष हैं। इनको नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में सोशल नेटवर्किंग साइट्स एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आयेंगी। समाज को बचाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते समय सिविक सेंस बहुत जरूरी है। अभिभावकों को भी बच्चों को सोशल साइट्स के उपयोग में विचारों की अभिव्यक्ति में संयम की सलाह देनी होगी।

जिला सूचना विज्ञान अधिकारी अनुराग जैन बताते हैं कि सोशल मीडिया वास्तव में सूचना क्रांति का बाई-प्रोडक्ट है। इसके उपयोग में संयम बहुत आवश्यक है। सोशल मीडिया को समाज विरोधी गतिविधियों से बचाने को हाल में देश में जरूरत के अनुरूप साइबर कानूनों में संशोधन किया जा रहा है, लेकिन केवल कानून बनाकर इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। हमें खुद समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास करना होगा। समाज में सोशल मीडिया का सिविक सेंस विकसित होगा तभी सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग हो सकेगा।

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