गोरखपुर. पीएम नरेंद्र मोदी जहां एक तरफ गरीबों को उन्हें बच्चे पढ़ाने के लिए नसीहत दे रहे हैं, वही दूसरी ओर शिक्षक उनके संदेश पर पानी फेर रहे हैं। गरीब अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए स्कूल तो भेज रहे हैं, लेकिन सरकारी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक बच्चों को शिक्षा देने की बजाय बालश्रम करवा रहे हैं। ताजा मामला यूपी के देवरिया जिले का है, जहां बच्चे अक्सर अपने सिर पर मिड-डे मील का भोजन ढोते नजर आते हैं। यह एक दिन का मामला नहीं, बल्कि बच्चों से यहां रोजाना बालश्रम करवाया जाता है। ये हाल तब है जब पीएम मोदी अभी बीते शुक्रवार को ही वाराणसी में गरीबों को अपने बच्चों को पढ़ाना के लिए प्रेरित कर रहे थे।
जानकारी के अनुसार, देवरिया नगर क्षेत्र स्थित सरकारी प्राथमिक स्कूल में दोपहर में दिया जाने वाला लंच की जिम्मेदारी किसी एनजीओ को दी गई है। एनजीओ का वाहन रोजाना मार्केट में आकर खड़ा हो जाता है। इसके बाद स्कूल के शिक्षक बच्चों को मिड-डे मील लाने के लिए मार्केट में भेजते हैं। बच्चे वहां पहुंचते हैं और अपने सिर पर मिड-डे मील को लादकर स्कूल लाते हैं। बच्चों की मानें तो यह काम वो रोजाना करते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि गरीब तो अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए इन सरकारी स्कूलों में भेजते तो हैं, लेकिन उनका मानसिक और बौद्धिक विकास होने की बजाय उनहें बालश्रम करना पड़ता है।
क्या कहती हैं स्कूल की प्रिंसिपल
इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल सुधा का कहना है कि एनजीओ वाले कहते हैं कि वो गाड़ी स्कूल तक नहीं ला सकते। वे कहते हैं कि गाड़ी बाजार में खड़ी है बच्चों को भेजकर खाना मंगवा लीजिए। ऐसे में बच्चों को खाना लाने के लिए बाजार भेजना पड़ता है। दूसरी ओर, प्रिंसिपल का यह भी कहना है कि बाजार में काफी ट्रैफिक रहती है, यदि बच्चों के साथ कोई हादसा हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। अब सवाल यह उठता है कि ये सब जानते हुए भी प्रिंसिपल बच्चों को खाना लाने के लिए बाजार क्यों भेजती है।
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी अनीता श्रीवास्तव से बात करने पर उनहोंने कहा कि यदि एनजीओ वाले ऐसा कर रहे हैं, तो यह गलत है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बच्चों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
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