logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शनिवार को होगा शिक्षामित्रों के भविष्य का फैसला ; शिक्षक भर्ती के लिए नजीर होगा हाईकोर्ट का फैसला : हाईकोर्ट (allahabad highcourt) के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले (shikshamitra) के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी।

शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर फैसला आज

इलाहाबाद (विधि सं.)। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन जजों की पूर्णपीठ प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात लगभग एक लाख पचहत्तर हजार शिक्षामित्रों के नियुक्ति का फैसला करेगी। पूर्णपीठ ने कई दिनों की बहस के बाद शुक्रवार को अपरान्ह शिक्षामित्रों के मामले में निर्णय लिखाना शुरू कर दिया परंतु समयाभाव के कारण कोर्ट पूरा फैसला नहीं लिखा सकी। मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए दोनों जजों की सहमति के बाद 12 सितंबर अर्थात महीने के दूसरे शनिवार को कोर्ट की बंदी रहने के बावजूद हाईकोर्ट खोलने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित करने के मुद्दे पर पक्ष व विपक्ष के वकीलों की कई दिनों तक दलीलें सुनी।


शिक्षामित्रों के समयोजन के खिलाफ वकीलों द्वारा कहा गया कि इनकी नियुक्ति कानून के विपरीत है। चूंकि यह टीईटी पास नहीं हैं इस नाते सहायक अध्यापक के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती। उधर, शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है। इस नाते इनकी नियुक्ति में कोई वैधानिक अड़चन नहीं है। कहा यह भी गया कि शिक्षामित्रों का चयन प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव को देखते हुए किया गया था। उनका चयन तत्समय प्रचलित नियमों के अनुसार किया गया। बहरहाल कोर्ट कल इस पर अन्तिम फैसला सुनायेगी।


खबर साभार : अमरउजाला/हिन्दुस्तान/दैनिकजागरण/डीएनए

आज तय होगा शिक्षा मित्रों का भविष्य:-

इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक शिक्षा मित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को बहस पूरी हो गई। तीन जजों की पूर्ण पीठ ने लगातार पांच दिनों तक इसकी सुनवाई की। पीठ ने अपना निर्णय लिखाना शुरू कर दिया है। शनिवार को अवकाश के बावजूद फैसला सुनाया जाएगा। दोपहर बारह बजे तक निर्णय आ जाने के आसार हैं। मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को पौने तीन बजे सुनवाई पूरी कर ली। इसके बाद अदालत ने फैसला लिखाना शुरू किया। चार बजे तीनों न्यायमूर्तियों ने परस्पर सहमति से फैसला अगले दिन के लिए टाल दिया। शनिवार को सुबह दस बजे मुख्य न्यायाधीश की अदालत अवकाश के बावजूद खुलेगी और आगे का फैसला लिखाया जाएगा।सरकार ने रोया संसाधनों का रोना : राज्य सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान प्राथमिक शिक्षा में संसाधनों कीकमी का पक्ष रखा गया। अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य हो गई थी। सरकार के पास बीटीसी प्रशिक्षण के पर्याप्त संसाधन नहीं थे। ऐसे में शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण देकर समायोजित करने का फैसला किया गया।यह भी कहा गया कि यदि ऐसा नहीं किया जाता तो प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती।अवकाश में पहली बार फैसला : वैसे तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आकस्मिक मामलों में कई बार अवकाश के दिन भी सुनवाई की है। जरूरी पड़ने पर आधी रात में भी अदालत बैठी है, लेकिन यह पहला अवसर है जबकि फैसला लिखाने के लिए अवकाश में हाईकोर्ट खोला जा रहा है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूर्ण पीठ ने यह निर्णय किया है।

शिक्षक भर्ती के लिए नजीर होगा हाईकोर्ट का फैसला:-

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश में शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए शनिवार को सुनाया जाने वाला फैसला शिक्षकों की भर्ती को लेकर नजीर साबित होगा। सरकार यदि इस मुकदमे में जीत जाती है तो भी, नहीं जीतती है तो भी। अदालत न सिर्फ समायोजन के संबंध में निर्णय करेगी बल्कि इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारों की सीमा रेखा भी तय होगी। यही वजह है कि सरकार से जुड़े लोगों में इस फैसले को लेकर अधिक बेचैनी है। प्रदेश में शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापकों के रूप में समायोजन भर्तियों के नजरिए से अखिलेश सरकार का सबसे बड़ा फैसला है। इससे एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्र सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। एक लाख 31 हजार को तो सरकार समायोजित कर चुकी है जबकि शेष उम्मीद लगाए बैठे थे। सरकार के इस फैसले का सियासी नजरिए से भी काफी महत्व था क्योंकि इसके जरिए वह अपनी रोजगारपरक सरकार की छवि को मजबूती प्रदान करती। अब यह मंशा हाईकोर्ट के फैसले की मोहताज है। यहसिर्फ संयोग ही नहीं कि प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की राज्य सरकार की हर कोशिश विवादों मेंफंसती रही है। 72 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती भी लगातार विवादों में रही। इसके अलावा 29 हजार गणित विज्ञान शिक्षकों की भर्ती का मामला भी अदालत में है। विधि के जानकारों की मानें तो इसका प्रमुख कारण शासकीय स्तर पर किसी भी भर्ती के पहले पर्याप्त स्तर पर होमवर्क न किया जाना है। शिक्षा मित्रों के समायोजन का फैसला करते समय भी इस बात की अनदेखी की गई कि आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर की गाइडलाइन इसके आड़े आ सकती है। राज्य में अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू होने के बाद ही प्राथमिक शिक्षा को बदहाली से बाहर निकालने की मुहिम शुरू जरूर हुई है लेकिन इसके लिए निर्धारित नियमों की अनदेखी करने से ही विवाद खड़े हुए। यह भी एक तथ्य है कि प्रदेश में जितने शिक्षा मित्र हैं, उनमें एक लाख 24 हजार स्नातक हैं। 23 हजार इंटर पास शिक्षा मित्र बनाए गए हैं। इनका चयन ग्राम शिक्षा समितियों के जरिए हुआ है जिसका अध्यक्ष ग्रामप्रधान होता है।हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पांच दिनों तक की सुनवाईसमायोजन मामले में दोपहर तक आएगा फैसला |

यूपी, शनिवार को होगा शिक्षामित्रों के भविष्य का फैसला : हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी।

√2009  में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली।
√इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया।
√2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया।

बगैर टीईटी पास शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर शुक्र्रवार को हाइकोर्ट में सुनवायी पूरी हो गई।

तीन जजों की खंडपीठ ने फैसला लिखाना भी शुरू कर दिया, जो समयाभाव के कारण पूरा नहीं हो सका। पूर्ण पीठ ने शनिवार होने के बावजूद कल (12 सितम्बर) सुबह से फैसला पूरा कराने का निर्णय किया है। यह हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी। इस मामले की सुनवायी के लिए गठित पूर्णपीठ में चीफ जस्टिस डा. डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस दिलीप गुप्ता व जस्टिस यशवंत वर्मा शामिल हैं। यह पीठ चार सितम्बर से इस मामले की सुनवायी कर रही है। शनिवार को इस मामले में फैसला आने की संभावना है।

यह है मामला

प्रदेश में 1.71 लाख शिक्षामित्र हैं। इनकी नियुक्ति बिना किसी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गई थी। 2009  में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली। इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया। 2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया।

पहले चरण में जून 2014 में 58,800 शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो गया। दूसरे चरण में जून में 2015 में 73,000 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बना दिए गए। तीसरे चरण का समायोजन होने से पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन सहित कई युवाओं ने समायोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट से विचाराधीन याचिकाओं पर अन्तिम निर्णय लेने को कहा। जिस पर यह पूर्णपीठ सुनवाई कर रही है।


Post a Comment

1 Comments

  1. शनिवार को होगा शिक्षामित्रों के भविष्य का फैसला ; शिक्षक भर्ती के लिए नजीर होगा हाईकोर्ट का फैसला : हाईकोर्ट (allahabad highcourt) के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले (shikshamitra) के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी।
    >> READ MORE @ http://www.basicshikshanews.com/2015/09/allahabad-highcourt-shikshamitra_11.html

    ReplyDelete