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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

उत्तर प्रदेशीय जूनियर शिक्षक संघ दूध वितरण का कर रहा विरोध : मिड-डे मील खाने से 82 बच्चे बीमार, 12 अभी भी भर्ती : बच्चों को लग गया था खाना खराब है ; लगानी पड़ी डाक्टरों की पूरी टीम

उत्तर प्रदेशीय जूनियर शिक्षक संघ दूध वितरण का कर रहा विरोध : मिड-डे मील खाने से 82 बच्चे बीमार, 12 अभी भी भर्तीबच्चों को लग गया था खाना खराब है ; लगानी पड़ी डाक्टरों की पूरी टीम




कढ़ी चावल खाकर बीमार हुए बच्चे

चिनहट स्थित जुग्गौर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय को अक्षय पात्र से बांटा गया बदबूदार कढ़ी चावल उनकी जान का दुश्मन बन गया। बीमार बच्चों को गोमतीनगर के लिए लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचाया गया।

कढ़ी चावल खाते ही बच्चों को पेट दर्द, उल्टी दस्त और जी-घबराने की शिकायत होने लगी। थोड़ी देर बाद कई बच्चे दर्द से तड़पने लगे। आनन-फानन में सबको चिनहट सीएचसी ले जाया गया। वहां हालत नाजुक देख लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया। इमरजेंसी में बीमार बच्चों की भीड़ से अफरा-तफरी मच गई। 

बीमार बच्चों का हालचाल लेने के लिए स्वास्थ्यमंत्री अहमद हसन, डीएम राजशेखर और एसएसपी समेत बीएसए और सीडीओ मौके पर पहुंचे। बच्चों की हालत में सुधार के बाद डिस्चार्ज कर एम्बुलेंस से घर भेज दिया गया। चिनहट स्थित जुग्गौर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छात्रों को बुधवार को अक्षय पात्र का बांटा गया खाना जान का दुश्मन बन गया। 

बदबूदार कढ़ी चावल खाने के बाद पहली से आठवी कक्षा के करीब 82 बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी। आनन-फानन में उनको चिनहट सीएचसी ले जाया गया। 

इसके बाद लोहिया अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। बदबूदार कढ़ी चावल खाने के बाद बारह बच्चों को गंभीर हालत में इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। भर्ती होने वालों में सहनूर (12), अभिषेक (11), दिलशान (3), रितिक (9), पवन (11), मो. अनस (17), मो. रियाद (9),कंचन (9), अनिमेष (8), सना (6), रुबी (11), और मयंक (13) शामिल हैं। 

बच्चों को लग गया था खाना खराब है

बच्चों ने बताया कि सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे कढ़ी चावल खाने को दिया गया था। कढ़ी चावल से पेंट और मिट्टी तेज जैसी बदबू आ रही थी। टीचर से बताया तो मैडम ने कहा कि चुपचान खाना खाओ। 

खाना खाने के दस मिनट बाद ही तबियत खराब होने लगी। एक साथ इतने सारे बच्चों की तबियत खराब होने की सूचना परिवारीजनों को मिली तो वो स्कूल पहुंचे और बीमार बच्चों को जैसे-तैसे लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचे। 

दोपहर करीब बारह बजे बच्चों को अस्पताल पहुंचाया गया तो भीड़भाड़ की वजह से इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गई। इमरजेंसी में पहुंचे बच्चों ने डॉक्टरों को बताया कि कढ़ी चावल खाने के बाद उनको पेट में तेज दर्द के साथ उल्टी की शिकायत होने लगी। 

इसके बाद बच्चों को गंभीर हालत में इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। वहीं बाकी बच्चों को इमरजेंसी के भीतर से लेकर बाहर तक स्ट्रेचर पर बैठाकर जरूरी दवा और इंजेक्शन दिया गया। स्थिति ये थी एक स्ट्रेचर पर दस से पंद्रह बच्चों को एक साथ बैठाकर इलाज करने की नौबत आ गई।

बदबूदार कढ़ी चावल खाने के बाद बच्चे बुरी तरह दर्द से तड़प रहे थे। इमरजेंसी में पर्याप्त व्यवस्था और तैयारी न होने से अव्यवस्था की स्थिति बन गई। आलम ये रहा कि इमरजेंसी फुल होने से बच्चों की भर्ती तक मुश्किल हो गई। 

कुछ गंभीर बच्चों को खाली बेड पर भर्ती कराया गया तो 50 से अधिक बच्चों को अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में शिफ्ट किया गया। करीब दो बजे के बाद 70 से अधिक बच्चों को अस्पताल की एम्बुलेंस से उनके घर छोड़ दिया गया।

लगानी पड़ी डॉक्टरों की टीम

एक साथ 80 से अधिक बीमार बच्चों के पहुंचने के बाद इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक अव्यवस्था की स्थिति बनी रही। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओंकार यादव ने इमरजेंसी में मची अफरा-तफरी देखने के बाद अन्य डॉक्‍टर यहां लगाए गए। 

डॉ. संदीप चौधरी, डॉ. जीके सिंह, डॉ. विनोद, डॉ. प्रमोद वर्मा, डॉ. घनश्याम, डॉ. योगेश करौली समेत पांच इंटर्न डॉक्टर, और फॉर्मासिस्ट एपी सिंह, आरके गुप्ता और एसएस श्रीवास्तव को तैनात किया गया। चिकित्सा अधीक्षक पूरे समय इमरजेंसी में मौजूद रहे और बच्चों को ओआरएस का घोल देने के साथ जरूरी दवा बंटवाने में लगे रहे।

बीमार बच्चों को जब डॉक्टरों ने इमरजेंसी में ओआरएल घोल का पैकेट और पेट दर्द की दवा दी तो उसे खाने के लिए पानी तक नहीं था। बच्चों के परिवारीजनों ने जैसे-तैसे पानी की व्यवस्था की और बच्चों को ओआरएस का घोल और पेट दर्द की दवा दिलाई गई। अव्यवस्था की वजह से बच्चों को इमरजेंसी ट्रीटमेंट रूम में भी इलाज के लिए घंटो इंतजार करना पड़ा।

बीमार बच्चों की भीड़ अचानक बढ़ने से अव्यवस्था की स्थिति हो गई थी। इमरजेंसी में पहुंचे बच्चों को समय पर इलाज देने के लिए अतिरिक्त डॉक्टर, इंटर्न और फॉर्मासिस्ट लगाए गए थे। बच्चों की हालत सामान्य थी। प्राथमिक इलाज के बाद 68 से अधिक बच्चों को दो बजे तक घर भेज दिया गया था। छह बारह बच्चों को नाजुक हालत की वजह से भर्ती कर के रखा गया है जिनका इलाज जारी है।

       खबर साभार : अमरउजाला

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