सवा साल पहले ही साफ हो गई थी तस्वीर : मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 23 जून, 2014 के पत्र में उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिए जाने से किया था साफ इनकार
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 1.71 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन शनिवार को निरस्त होने के सवा साल पहले ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने साफ कर दिया था कि स्थायी नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य है। हिन्दुस्तान ने 29 जुलाई 2014 को यह खबर पहले पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित भी की थी।
गोंडा के दुर्गेश प्रताप सिंह की आरटीआई के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 23 जून, 2014 के पत्र में उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट दिए जाने से साफ इनकार कर दिया था। आरटीआई के एक सवाल ‘क्या कोई नियोक्ता बगैर टीईटी पास किए किसी को प्राइमरी स्कूल में शिक्षक नियुक्त कर सकता है?’ के जवाब में केंद्र सरकार ने साफ कहा था कि ऐसा नहीं किया जा सकता।
एक अन्य प्रश्न ‘क्या केंद्र सरकार या एनसीटीई किसी राज्य को कक्षा 1 से 8 तक सहायक अध्यापक की नियुक्ति में टीईटी से छूट दे सकती है’ के जवाब में एमएचआरडी में स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी विभाग के अंडर सेक्रेटरी और मुख्य जनसूचना अधिकारी आलोक जवाहर ने लिखा था कि आरटीई के तहत एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता में छूट सिर्फ केंद्र सरकार दे सकती है।
हालांकि 8 नवंबर 2010 की गाइडलाइन में केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि किसी राज्य सरकार को टीईटी अनिवार्यता से छूट नहीं देगी। सवाल ‘क्या केंद्र सरकार या एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश को सहायक अध्यापक पद पर शिक्षामित्रों के बगैर टीईटी समायोजन की छूट दी है’ के जवाब में ऐसी कोई छूट नहीं देने की बात कही गयी थी।
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