हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्र नेताओं में छिड़ी बहस, लगाए आरोप : अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था
लखनऊ. हाईकोर्ट ने भले ही शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध करार दे दिया हो, लेकिन एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों की उम्मीदें अभी भी टूटी नहीं है। दूसरी तरफ शिक्षामित्र नेता अब एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुट गए हैं। सोशल मीडिया पर आधा दर्जन से ज्यादा पेज शिक्षामित्र संघ के नाम से बने हुए हैं। शिक्षामित्र नेताओं की बुद्धवार को अगली बैठक होगी।
एक तरफ शिक्षामित्रों के घरों में हाईकोर्ट के फैसले के बाद मातम छाया हुआ है, वहीं शिक्षामित्र नेता अपनी रोटियां सेकने में लग हुए हैं। कुछ ऐसे हैं भी नेता हैं जो अपने-अपने तरीके से आश्वासन दे रहे हैं। कुछ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ शेरोशायरी से लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं।
समायोजन के समय से हुई राजनीति
बलिया के अमृत सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि एक नेता समायोजन के समय से ही राजनीति कर रहे थे। जब तत्कालीन शिक्षा सचिव नीतीश्वर कुमार ने 'टेट युक्त' समायोजन करने का प्रस्ताव रखा तब एक नेता ने अपनी राजनीति कि दुकान चलाने के लिए इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। उसी का खामियाजा अब शिक्षामित्र भुगत रहे हैं।
फेसबुक पर मिल रही है तीखी प्रतिक्रिया
यूपी शिक्षामित्र संघ नाम से बने पेज पर शेयर पोस्ट में शिक्षामित्रों कि अगली बैठक बुधवार को लखनऊ में होगी। ऐसे में तुरंत ही तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई। एक ने कमेंट किया कि यह बैठक में तय होगा कि अब आगे चंदा कैसे लेना है। सभी चोर हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि अब तो सब खत्म हो गया है नेता कुछ करना चाहते हैं तो मानदेय ही बढ़वा दे।
नेताओं को मिल रही है गालियां
शिक्षामित्र नेताओं ने भले ही कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी हो, लेकिन मुकदमा हारने के बाद उन्हें खूब गालियां पड़ रही हैं। कुछ कह रहे हैं कि ऐसे घमंडी नेताओं कि वजह से हम मुकदमा हार गए तो वहीं कुछ का कहना है कि यह सब नेताओं कि राजनीति कि वजह से हुआ है। नेता सिर्फ पैसा बटोरने में लगे रहे।
क्या है मामला
शनिवार को यूपी के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र टीचरों का अप्वाइंटमेंट हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शनिवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इनके अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था।
खबर साभार : दैनिकभाष्कर
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