शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द : 1.70 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया : बिना टीईटी समायोजन करना मनमाना कदम बताया, दो साल के कराये गये प्रशिक्षण को भी दिया अवैध करार
इलाहाबाद (ब्यूरो)। यूपी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए हाईकोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए 1.70 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्तियां शनिवार को रद्द कर दीं। हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार के सभी प्रशासनिक आदेशों समेत शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली में किए गए संशोधन और उन्हें दिए गए दो वर्षीय दूरस्थ शिक्षा प्रशिक्षण को भी असंवैधानिक, मनमाना और अवैध करार दिया। समायोजन को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया।
पूर्ण पीठ ने कहा नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम प्रावधानों के अनुसार शिक्षामित्र, एनसीटीई की ओर से तय की गई न्यूनतम अर्हता भी नहीं रखते हैं। प्रदेश सरकार को बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन कर न्यूनतम योग्यता तथा अध्यापक की परिभाषा बदलने और केंद्र सरकार तथा एनसीटीई की ओर से तय मानक से इतर जाकर नियुक्ति के नए मानक बनाने का अधिकार नहीं है।
•हाईकोर्ट का बड़ा फैसला अदालत ने अधिकार पर घेरा
सिर्फ केंद्र सरकार दे सकती है न्यूनतम अर्हता में छूट
कोर्ट ने कहा कि न्यूनतम अर्हता में छूट देने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। राज्य सरकार को नहीं। शिक्षामित्रों का समायोजन बिना स्वीकृत पद तथा नियमानुसार चयन प्रक्रिया और आरक्षण नियमों का पालन किए बिना ही कर दिया गया। सरकार का यह कदम असंवैधानिक, मनमाना और अवैध है।
अवकाश के दिन बैठी बेंच, 5 घंटे में लिखाया फैसला
यह फैसला इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि शनिवार को अवकाश के बावजूद हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अदालत में बैठकर फैसला लिखाया। पीठ ने शुक्रवार दोपहर तीन बजे से चार बजे तक और फिर शनिवार सुबह दस बजे से दोपहर बाद दो बजे तक खुली अदालत में निर्णय लिखाया।
यूपी सरकार को झटका, सरकार ने टीईटी अनिवार्यता से दे दी थी छूट
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के लिए प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षक सेवा नियमावली 1981 में संशोधन करके शिक्षामित्रों को न सिर्फ टीईटी की अनिवार्यता से छूट दे दी, बल्कि एनसीटीई से दो वर्षीय दूरस्थ प्रशिक्षण दिलाने का अनुमोदन भी प्राप्त कर लिया।
इंटर पास को प्रशिक्षण देकर दिला दी नौकरी
एनसीटीई के वकील रिजवान अहमद ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार को स्नातक शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने की अनुमति दी गई थी। लेकिन सरकार ने शासनादेश जारी कर इंटर पास वालों को प्रशिक्षण दिलाकर सहायक अध्यापक बना दिया।
सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रही है। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कहा कि फैसला देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
खबर साभार : अमरउजाला/दैनिकजागरण/हिन्दुस्तान
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शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द : 1.70 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया : बिना टीईटी समायोजन करना मनमाना कदम बताया, दो साल के कराये गये प्रशिक्षण को भी दिया अवैध करार
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