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इतिहास, इग्नू ने दिया देश को पहला कैदी गोल्ड मेडलिस्ट : अजित सरोज ने देश भर में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिखाया

इतिहास, इग्नू ने दिया देश को पहला कैदी गोल्ड मेडलिस्ट : अजित सरोज ने देश भर में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिखाया
    

कहते हैं प्रतिभा को कोई बेड़ी बांधकर नहीं रख सकती। कुछ ऐसा ही हुआ इस बार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा में। अनिच्छित हत्या के आरोप में वाराणसी की जिला जेल में 10 साल की कैद काट रहे अजित सरोज ने देश भर में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिखाया।

अजित से जब इस दोहरे अनुभव पर सवाल किया तो बेसाख्ता बोल पड़ा, 'नेल्सन मंडेला भी तो 27 साल जेल में रहे।' यानी उसका जज्बा किसी तरह कम नहीं हुआ है। अगर यह कहें कि जेल की चहारदीवारी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पांच साल पहले एक घटना के बाद अजित को 2012 में अदालत ने 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। जेल जाने के बाद उसने पढ़ने की इच्छा जाहिर की। संयोग से इग्नू ऐसे लोगों के लिए पहले से ही शैक्षणिक कार्यक्रम चला रहा है। 

अजित ने टूरिज्म में डिप्लोमा करने की इच्छा जतायी। उसकी इच्छा किस कदर रंग लाई, यह बीएचयू के ऐतिहासिक केएन उडुप्पा सभागार में सैकड़ों जोड़ी आंखों ने देखा। दीक्षांत समारोह में पुलिस के पहरे में ही सही, राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीसी जायसवाल ने जब उसके गले में स्वर्ण पदक पहनाया तो हॉल तालियों से गूंज उठा। 

जेल प्रशासन और गुरु को श्रेय
अजित ने कहा, 'मुझे जेल में पढ़ने की पूरी आजादी मिली। मैं दोपहर बाद तीन बजे से शाम तक पढ़ता। रात को जल्दी सो जाता और फिर तड़के तीन बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देता। यूपी कॉलेज के पर्यटन विभाग के डॉ. पवन सिंह मुझे आकर पढ़ाते थे।' अजित ने बताया कि जेल में उन कैदियों से काम नहीं कराया जाता, जो पढ़ाई करते हैं। साथ ही उन्हें अन्य कैदियों से अलग सफेद वस्त्र पहनने की भी छूट होती है।

एमबीए करने का इरादा
सजा पाने से पहले अजित बीएससी की पढ़ाई कर रहा था। एक घटना ने उसकी पढ़ाई बंद करा दी। जेल में आया तो भी पढ़ने की इच्छा उसके साथ ही रही। अब जब उसने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है, उसकी यह इच्छा कई गुना बढ़ गयी है। वह चाहता है कि किसी तरह एमबीए में उसका दाखिला हो जाय। अपनी मौजूदा जिंदगी को भूलकर वह एक अच्छा इंसान बनना चाहता है।

जेलों में भी हो रहे कैंपस सेलेक्शन
इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एएन त्रिपाठी ने बताया कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में इग्नू का एक केंद्र है। वहां कई कैदी इसके जरिये पढ़ाई कर रहे हैं। अब तो कई कंपनियों ने ऐसे विद्यार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिये हैं। जेल में बाकायदा इंटरव्यू हो रहे हैं और सजा खत्म होने के बाद अभ्यर्थियों को रोजगार मिल रहा है। इस व्यवस्था ने अजित के सपनों को भी पंख लगा दिये हैं।

बचवा निकल आये बस और क्या चाहिए
उडुप्पा सभागार में मौजूद अजित की मां सुशीला देवी और पिता रामबचन ने डबडबाई आंखों और  रूंधे गले से कहा कि खुशी तो बहुत हो रही है। गांव में अब सभी इज्जत से देखेंगे ऐसी उम्मीद है। बचवा बस बाहर आ जाए। हमें सबकुछ मिल जायेगा।

दिल्ली में मुख्य कार्यक्रम में हुई घोषणा
इग्नू का दीक्षांत समारोह पूरे देश में सभी केंद्रों पर एक साथ मनाया गया। दिल्ली में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने इग्नू के बारे में जिक्र करने के दौरान यह चर्चा प्रमुखता से की कि इग्नू के वाराणसी केंद्र से एक सजायाफ्ता कैदी ने गोल्ड मेडल हासिल किया है।

       खबर साभार : हिन्दुस्तान

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