प्रशासनिक दबाव से शिक्षकों में आक्रोश : दूध वितरण की योजना के क्रियान्वयन पर विभाग एडी चोटी का जोर लगा रहा
फतेहपुर : दूध वितरण की योजना के क्रियान्वयन पर विभाग एडी चोटी का जोर लगा रहा है। दूध में आने वाला खर्च कहां से आएगा किसी को मालूम नहीं है। दूध वितरण को लेकर डाले जा रहे दबाव से शिक्षकों में आक्रोश है। शिक्षक हित को लेकर गठित संगठन भी शिक्षकों के निशाने पर है कारण कि उसकी जुबान प्रदेश से लेकर जिले तक सिली हुई है।
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शासन ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बुधवार के दिन 200 मिली दूध दिए जाने का आदेश जारी किया है। आदेश के अनुपालन में जिला प्रशासन सख्ती बरत रहा है। क्रियान्वयन को सफल बनाने के लिए विभाग से लेकर डीएम तक सक्रिय हैं। शिक्षकों की समस्या है कि दूध वितरण की योजना तो बना दी गई लेकिन खर्च कहां से आएगा और वितरण के सापेक्ष कैसे मिलेगा इसकी तस्वीर साफ नहीं है। योजना में भोजन और दूध का खर्च 3.48 रूपए की कन्वर्जन कास्ट में मिलता है। अभी तक यह भोजन में लगाया जाता रहा है। जिसको लेकर भी कमतर होने की आवाज उठती रही है। अब इसी लागत में दूध का वितरण भी शिक्षकों को करना है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग ने अभी तक यह नही बताया है कि दूध वितरण का धन मिलेगा कि नहीं। वहीं शिक्षकों के निशाने पर संगठन भी है जो चुप्पी साधे हुए हैं। शिक्षकों का कहना है कि जरा सी बात में हो-हल्ला मचाने वाले नेता क्यों चुप्पी साधे हुए हैं समझ से परे है। वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेंद्र ¨सह का कहना है कि यह पूरे प्रदेश का मामला है। प्रदेश से ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं आई है। मामले को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर है। 13 अगस्त को सरकार का अपना पक्ष रखना है। कोर्ट का जो आदेश आएगा उसके बाद लड़ाई को धार दी जाएगी।
बीएसए विनय कुमार का कहना है कि दूध वितरण कराए जाने का आदेश आया है। धन आवंटन की बात अभी साफ नहीं है। जैसा आदेश आएगा उसका पालन कराया जाएगा।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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