तो शर्माते हुए ही स्कूल जाएंगे बच्चे ; आकर्षक न होने से बच्चे पहनने में करते हैं आनाकानी : बेसिक शिक्षा परिषद ने नहीं बदला खाकी रंग
√आकर्षक न होने से बच्चे पहनने में करते हैं आनाकानी
√शासन से 400 रुपये प्रति बच्चा दो जोड़ी ड्रेस खरीदने के निर्देश जारी
अलीगढ़ : परिषदीय स्कूलों में बच्चों को लुभाने के लिए यूं तो तरह-तरह की योजनाएं वर्तमान में संचालित हैं, मगर उनकी एक छोटी सी ख्वाहिश का सरकार ने फिर से दम घोंट दिया है। ये मामला बच्चों की खाकी ड्रेस का है, जो न तो बच्चों को पसंद है और न अभिभावकों को। वजह, खाकी रंग के पेंट कमीज या सलवार कमीज कान्वेंट स्कूलों की आकर्षक डेस के सामने बेहद फीकी नजर आती है। जूनियर हाईस्कूलों के ज्यादातर बच्चे तो ड्रेस पहनते ही नहीं, यदि पहनते हैं तो अनमने मन से स्कूल पहुंचते हैं। इससे सर्वशिक्षा अभियान पर सवाल खड़ा हो गया है।
दो साल पहले हुआ बदलाव : परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के पहले ड्रेस का अलग-अलग रंग निर्धारित था। छात्रों के लिए जहां ड्रेस का रंग आसमानी शर्ट व नीली पैंट और छात्रओं के लिए आसमानी शूट व सफेद सलवार निर्धारित था। वर्ष 2013 में शासन ने खाकी पेंट-शर्ट व खाकी शूट-सलवार को ड्रेस में शामिल कर दिया।
पहले भी विरोध, आज भी : खाकी ड्रेस न तो बच्चों को रास आई और न उनके अभिभावकों को। वजह, ये ड्रेस सरकारी होने के साथ-साथ बच्चों के गरीब होने व सरकारी स्कूल में पढ़ने का सिंबल बन गई। प्राथमिक स्कूल में तो बच्चे छोटे होने के कारण ज्यादा समस्या नहीं आई, मगर जूनियर हाईस्कूल के बड़े बच्चे आज तक ड्रेस को पहनने के लिए सहर्ष तैयार नहीं।
नहीं समझी सरकार : बच्चों की भावनाओं और अभिभावकों की चिंता को समझते हुए सरकार ने सत्र शुरू होने से पहले ड्रेस का रंग बदलने पर सहमति जता दी, मगर अब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। नए सत्र के लिए अधिकारियों को ड्रेस खरीदने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, मगर उनमें ड्रेस का रंग बदलने के लिए कोई जिक्र नहीं है। इससे जिले के 1774 प्राथमिक स्कूल व 734 जूनियर हाईस्कूलों में अध्ययनरत ढाई लाख बच्चों के लिए खाकी डेस ही खरीदी जाएगी।
शासन से ड्रेस खरीदने के निर्देश मिल चुके हैं, धनराशि भी आवंटित कर हो गई है। ड्रेस के खाकी रंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
-गिरजेश चौधरी, एडी बेसिक।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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