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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

पढ़ाएंगे कैसे, इन्हें तो अपने ही सिस्टम पर भरोसा नहीं : मंत्री बोले- इससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा, भेदभाव खत्म होगा, आईएएस अफसर-सिर्फ कुछ दिन चर्चा में रहने वाला फैसला

पढ़ाएंगे कैसे, इन्हें तो अपने ही सिस्टम पर भरोसा नहीं : मंत्री बोले- इससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा, भेदभाव खत्म होगा, आईएएस अफसर : सिर्फ कुछ दिन चर्चा में रहने वाला फैसला

लखनऊ (ब्यूरो)। अगर जनप्रतिनिधियों और आईएएस अफसरों को अपने बनाए सिस्टम पर भरोसा होता तो ये अपने बच्चों को सरकारी प्राथमिक स्कूलों के बजाय अंग्रेजी काॅन्वेंट स्कूलों में क्यों पढ़ाते? नेताओं, अफसरों और सरकार से वेतन लेने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद ‘अमर उजाला’ ने पड़ताल की तो पूरे सिस्टम की पोल खुल गई।

100 से ज्यादा जनप्रतिनिधियों, आला अफसरों से बात के बाद यह तथ्य सामने आया कि इनमें से किसी के भी बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते। हालांकि सियासी मजबूरी के चलते एमएलए, एमपी और मंत्रियों ने कहा कि इस फैसले से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियाद मजबूत होगी। वहीं, अफसर इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। कह रहे हैं, इसे लागू कर पाना आसान नहीं होगा। कुछ अफसरों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, अदालतें नहीं तय कर सकतीं कि अपने बच्चों को हम कहां पढ़ाएं। यह अभिभावकों का अधिकार है। इसमें कोई बाध्यता उचित नहीं।

मंत्री बोले- इससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा, भेदभाव खत्म होगा

सूबे के बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने कहा, परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। मैं खुद चाहता हूं कि स्कूली शिक्षा में पढ़ाई का भेदभाव समाप्त होना चाहिए।

आईएएस अफसर : सिर्फ कुछ दिन चर्चा में रहने वाला फैसला

सूबे के कुछ आला आईएएस अफसर कहते हैं, ऐसा हो तो सरकारी स्कूलों का स्तर उठने में देर नहीं लगेगी। हालांकि कुछ ने कहा कि न्यायालय का आदेश कुछ दिन तक चर्चा में रहने वाले फैसले से ज्यादा नहीं है।

अदालती फैसले पर कौन-कितना गंभीर

जिनके हवाले बेसिक शिक्षा, उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में

योगेश प्रताप सिंह, राज्य मंत्री

एक बेटा है जो इंटर का छात्र है और प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहा है। हालांकि वे बात समान शिक्षा की ही करते हैं।

वसीम अहमद, राज्य मंत्री

फिलहाल तो बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कहते हैं, सरकारी स्कूलों में व्यवस्था अच्छी होगी तो वहां पढ़ाएंगे। हालांकि व्यवस्था सुधारना भी इन्हीं के हाथ में है।

कैलाश चौरसिया, राज्य मंत्री

बच्चे बड़े हो गए हैं। दिल्ली मे हैं। दामाद पुलिस अफसर हैं। उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। चौरसिया कहते हैं कि वे यहां होते और सरकारी स्कूलों की पढ़ाई अच्छी होती तो वहां जरूर पढ़ाता।

... लेकिन कैबिनेट मंत्री का बेटा सरकारी से पढ़ा

बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी खुद सरकारी स्कूल में पढ़े। बेटे रंजीत चौधरी ने भी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। मंत्री की पोती अभी ढाई साल की है।

100 से ज्यादा एमएलए, एमपी मंत्री और आईएएस अफसरों ने फैसले को ऐतिहासिक बताया लेकिन अधिकतर के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते

खबर साभार : अमरउजाला/दैनिकजागरण

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