मिड-डे मील पर जारी है सरकार की बेरुखी : वित्त मंत्रालय ने फैसला ले लिया है कि मिड डे मील के लिए सब्सिडी रहित रसोई गैस का अतिरिक्त खर्च अब राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा
नई दिल्ली। देश भर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन देने की योजना मिड डे मील अब मोदी सरकार की लगातार बेरुखी की वजह से दम तोड़ रही है। स्कूलों में खाने के पुराने बर्तनों को बदलने की सभी राज्य सरकारों की मांग पर फैसला नहीं हो पा रहा है। वहीं अब केंद्र सरकार मिड डे मील योजना के तहत राज्य सरकारों को मिलने वाली रसोई गैस की सब्सिडी पर भी कैंची चलाने जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने फैसला ले लिया है कि मिड डे मील के लिए सब्सिडी रहित रसोई गैस का अतिरिक्त खर्च अब राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा।
केंद्र इसके लिए राज्य सरकारों को कोई पैसा नहीं देगा। अभी तक सरकार मिड डे मील योजना के लिए खरीदे जाने वाले सब्सिडी रहित गैस सिलेंडरों के अतिरिक्त खर्च का 75 फीसदी देती थी। वित्त मंत्रालय का यह फैसला एक अप्रैल, 2015 से लागू हो गया है। यानी कि अब राज्य सरकारों को बाजार दर पर मिलने वाले रसोई गैस सिलेंडर पर केंद्र सरकार कोई सब्सिडी नहीं देगी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने 2012 में सिलेंडरों पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया था। तब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य को 75 फीसदी खर्च की भरपाई करने का फैसला लिया था। इसी तरह केरल को छोड़कर सभी राज्यों ने मंत्रालय को मिड डे मील के तहत बर्तन बदलने के लिए धन राशि देने के लिए कहा है।
मगर मंत्रालय ने राज्यों को कहा है कि इसे लेकर एक प्रस्ताव बना है। मगर उस पर फैसला नहीं हुआ। इसे लेकर अंतिम फैसला होने के बाद ही बर्तन बदलने की दिशा में मामला आगे बढ़ सकता है। मोदी सरकार के पिछले आर्थिक बजट में मिड डे मिल योजना का बजट जमकर काट दिया गया था। 2014-15 में योजना का बजट 13,216 करोड़ रुपये थे जोकि घटकर अब सिर्फ नौ हजार करोड़ रुपये रह गया है। खाना बनाने की लागत बढ़ने के बावजूद बजट काट दिया गया है।
खबर साभार : अमरउजाला
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