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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे मील के लिए स्कूलों को मिलेगी 5 फीसद अधिक राशि : केंद्र सरकार ने योजना के तहत कुकिंग कॉस्ट में स्कूलों को दी जानेवाली राशि इस बार पांच फीसद बढ़ाने का लिया निर्णय: क्लिक कर आदेश देखें |

मिड-डे मील के लिए स्कूलों को मिलेगी 5 फीसद अधिक राशि : केंद्र सरकार ने योजना के तहत कुकिंग कॉस्ट में स्कूलों को दी जानेवाली राशि इस बार पांच फीसद बढ़ाने का लिया निर्णय: क्लिक कर आदेश देखें |

रांची : सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में चलाई जा रही महत्वाकांक्षी केंद्रीय मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील) में स्कूलों को अब पांच फीसद अधिक राशि मिलेगी। केंद्र सरकार ने योजना के तहत कुकिंग कॉस्ट में स्कूलों को दी जानेवाली राशि इस बार पांच फीसद बढ़ाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश जारी करने तथा संबंधित पदाधिकारियों को सूचित करने का निर्देश दिया है।

~क्लिक आदेश देखें |

इस बार केंद्र ने इस मद में पिछले वर्षो की अपेक्षा राशि में कम बढ़ोतरी की है। इससे पहले इसमें सात से साढ़े सात फीसद की वृद्धि होती रही थी। पिछले वर्ष साढ़े सात फीसद की वृद्धि की गई थी। दूसरी तरफ, केंद्र ने राशि बढ़ाने का निर्णय देर से लिया। इसलिए बढ़ी हुई राशि पहली जुलाई से ही लागू होगी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कुकिंग कॉस्ट में वृद्धि का निर्णय 24 जुलाई को लिया, जिसके बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 28 जुलाई को सभी राज्यों को स्वीकृति पत्र भेजा।

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प्रति बच्चा मिलेंगे अधिकतम 5.73 रुपये

योजना के तहत कुकिंग कास्ट में अब केंद्रीय मद से प्राइमरी स्कूलों के लिए प्रत्येक बच्चे पर 2.82 रुपये तथा अपर प्राइमरी स्कूलों के लिए 4.23 रुपये मिलेंगे। राज्य की ओर से दोनों स्कूलों के लिए क्रमश: एक और 1.50 रुपये दिए जाते हैं। इस तरह, दोनों मिलाकर स्कूलों को अब प्रति बच्चा क्रमश: 3.82 रुपये तथा 5.73 रुपये मिलेंगे। अभी तक स्कूलों को इस मद में क्रमश: 3.69 रुपये तथा 5.54 रुपये मिलते थे। बता दें कि कुकिंग कॉस्ट की राशि में 75 फीसद केंद्र सरकार तथा 25 प्रतिशत राज्य सरकार का अंश होता है लेकिन राज्य सरकार अपने अंश से अधिक राशि का वहन करती है।

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कुकिंग कॉस्ट में क्या-क्या

दाल, सब्जी, तेल, नमक, मसाले व ईधन का खर्च कुकिंग कॉस्ट में जोड़ा जाता है। स्कूलों को चावल अलग से एफसीआइ के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। राज्य सरकार अब बच्चों को अंडा व फल भी अपने बजट से देती है।

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इतने स्कूलों में चलती है योजना

प्राइमरी स्कूल : 26,573

अपर प्राइमरी स्कूल : 14,260

एनसीएलपी स्कूल: 190

     खबर साभार : दैनिकजागरण

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