बच्चों को दूध पिलाने का खर्च नहीं बता पाई यूपी सरकार : हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका, खर्च बताएं वरना 13 अगस्त के बाद अदालत पारित करेगी आदेश
√हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका, ख्रर्च बताएं वरना अदालत पारित करेगी आदेश
√13 अगस्त तक यदि सरकार जवाब दाखिल नहीं करती है तो अदालत अपनी ओर से आदेश पारित करेगी |
इलाहाबाद(ब्यूरो)। प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के बच्चों को सप्ताह में एक दिन दूध पिलाने की योजना पर होने वाला खर्च प्रदेश सरकार नहीं बता पाई है। दूध पिलाने की योजना से जुड़ीं दूसरी जानकारियां जो अदालत द्वारा मांगी गई थीं, वह भी नहीं बताई जा सकीं। मंगलवार को कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका पर सुनवाई प्रारंभ हुई तो मुख्य न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सबसे पहले सरकार के वकील से खर्च बाबत जानकारी मांगी। इससे पहले के आदेश में पीठ ने सरकार से दूध पिलाने की योजना के मद में आने वाले खर्च सहित दूध की गुणवत्ता और उपलब्ध आदि बातों की जानकारी मांगी थी।
सरकार के वकील ने बताया कि शासन से अभी इस संबंध में जानकारियां उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।
पीठ ने सचिव बेसिक शिक्षा को एक और मोहलत देते हुए कहा कि 13 अगस्त तक यदि सरकार जवाब दाखिल नहीं करती है तो अदालत अपनी ओर से आदेश पारित करेगी। याची का कहना था कि अकेले कानपुर में ही एक दिन में दो लाख बच्चों को दूध पिलाया जाता है। इसी प्रकार से प्रदेश भर में लाखों बच्चे हैं जिनको दूध पिलाने के खर्च का यदि प्रबंध नहीं है तो दूध की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था दूध पिलाने पर आने खर्च कन्वर्जन कॉस्ट की भरपाई कैसे की जाएगी।
खबर साभार : अमरउजाला/दैनिकजागरण
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