अक्षय पात्र ने दूध वितरण पर नहीं दिया स्पष्ट जवाब : कहीं मिलेगा दूध, कहीं बच्चे करेंगे इंतजार एनजीओ के लिए गले की फांस बना बच्चों को दूध देना
लखनऊ | शासन की ओर से प्रत्येक बुधावार को बच्चों को मिड-डे-मील में दूध दिए जाने का निर्णय अक्षय पात्र फाउंडेशन के साथ-साथ एनजीओ के लिए भी गले की फांस बन गया है। मिड-डे-मील में घाटा होने का हवाला देकर पिछले दो बार से दूध वितरण न करने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन ने इस बार भी असमर्थता जताई है। वहीं एनजीओ ने भी पहले मना कर दिया था। लेकिन मंगलवार को देर शाम बीएसए ने बैठक बुलाकर सभी एनजीओ को अनिवार्य रूप से दूध वितरित करने का फरमान जारी कर दिया।
बीते 15 जुलाई से बच्चों को प्रत्येक बुधवार को मिड-डे-मील में 200 मिली दूध तथा कोफ्ता चावल देना अनिवार्य कर दिया गया। लेकिन यह नहीं बताया गया कि दूध के लिए बजट कहां से आएगा। इसको लेकर काकोरी, चिनहट व सरोजिनी नगर सहित नगर क्षेत्र में करीब 72 हजार बच्चों को मिड-डे-मील देने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन ने दूध वितरण से हाथ खड़े कर दिए। कहा कि जब तक सरकार या अन्य कोई दानदाता मदद नहीं करेगा, हम दूध नहीं दे सकते। वहीं माध्यमिक विद्यालयों एवं बीकेटी नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे-मील देने वाली एनजीओ ने भी किसी तरह 15 जुलाई को दूध वितरित किया। लेकिन 22 जुलाई को सिर्फ एक संस्था ने ही बच्चों को दूध दिया। इसको लेकर बीएसए ने संस्थाओं को नोटिस भी जारी की थी। अब फिर 29 जुलाई यानी बुधवार को दूध देने का समय आया तो अक्षय पात्र फाउंडेशन ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। लेकिन सिर्फ इतना बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं। हालांकि एनजीओ ने दूध व कोफ्ता चावल वितरित करने पर सहमति जताई है।
भले ही बुधवार को मिड-डे-मील में दूध व कोफ्ता चावल का प्रावधान किया गया है। लेकिन काकोरी, चिनहट, सरोजनी नगर के साथ-साथ नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों के 72 हजार बच्चों को मिड-डे-मील देने की जिम्मेदारी निभाने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन के इंकार करने के बाद उन्हें पुराने मेन्यू के अनुसार ही खाना दिया जाएगा। फाउंडेशन के उप महाप्रबंधक सुनील मेहता भी दूध वितरण पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। बोले, हम कोशिश कर रहे हैं।
खबर साभार : डीएनए
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