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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त किया जाए : शैक्षिक गुणवत्ता के सुझावों पर ध्यान न देने पर दी आन्दोलन की चेतावनी

शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त किया जाए : शैक्षिक गुणवत्ता के सुझावों पर ध्यान न देने पर दी आन्दोलन की चेतावनी

लखनऊ । शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराया जाना शिक्षाण गुणवत्ता के के लिए अत्यंत विनाशकारी है। यह बात रविवार को शिक्षक भवन में शिक्षकों की समस्याओं को लेकर आयोजित बैठक में कही गयी।

बैठक में विभिन्न स्थानों से आए शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों में मिड-डे-मील का वितरण, भवन निर्माण तथा अन्य समस्त वित्तीय कायरे से प्रधानाध्यापकों को मुक्त करके सिर्फ शिक्षण कार्य कराया जाए ताकि धन शिक्षा गुणवत्ता की में ध्यान लगा सकें। विद्यालयों को प्रधानाचार्य के अनावश्यक हस्तक्षेप से मुक्त कराया जाए क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में उनका कोई विशेष योगदान नहीं रहता है।

स्कूलों में सफाई कर्मी नहीं आते हैं, तो सफाई कौन करें, ऐसी स्थिति में सफाईकर्मियों को प्रधानाध्यापक के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। विद्यालयों को किसी मद में किसी भी प्रकार का धन न भेजा जाए, इसके लिए अलग से एजेंसी का गठन किया जाए। प्रत्येक विद्यालय में एक चपरासी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति की जाए ताकि स्कूल में साफ-सफाई व सुरक्षा बनी रहे। बैठक में कहा गया कि यदि गुणवत्ता वर्ष मनाना है तो प्रधानाध्यापकों की समस्याओं पर तत्काल कार्रवाई की जाए।

शासन को एक माह का अल्टीमेटम देते हुए शिक्षकों ने कहा कि वे शिक्षा गुणवत्ता की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, अगर उनकी जायज मांगों को नहीं माना गया तो वे आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे।बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ प्रधानाध्यापक रमेश शुक्ल ने की। इस अवसर पर सव्रेश शुक्ल, रवि प्रताप सिंह, दीपक मिश्र, इन्द्रा सक्सेना, अनिल सिंह, अंकिता सचान, आशीष कुमार सिंह, मोहनी आभा, वेद प्रकाश, आरती, सोनिया श्रीवास्तव, सतीश कुमार, अमिता सचान सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे |

       खबर साभार : राष्ट्रीयसहारा

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