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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मदरसों में अन्य सब्जेक्ट अनिवार्य करने का विरोध : 'मदरसे ही तय करें, क्या पढ़ाना है';राज्यों में अलग-अलग व्यवस्था

मदरसों में अन्य सब्जेक्ट अनिवार्य करने का विरोध : 'मदरसे ही तय करें, क्या पढ़ाना है';राज्यों में अलग-अलग व्यवस्था

लखनऊ : महाराष्ट्र में कंप्यूटर, इंग्लिश, मैथ्स पढ़ाने की जगह सिर्फ धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसों की मान्यता समाप्त करने के फैसले का शहर में भी विरोध शुरू हो गया है। शहर के बड़े मदरसों के प्रिंसिपल और मौलानाओं ने इस पर विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि प्रदेश में सरकारी मान्यता प्राप्त करीब सात हजार मदरसे हैं और गैर सरकारी मदरसे एक लाख के करीब हैं। इनमें ज्यादातर में इस्लामिक एजुकेशन सहित सारे सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं। ऐसे में मदरसों को क्या पढ़ाना है, इसके लिए बाध्य करना गलत है।

मदरसों को ही टारगेट करना गलत

संस्कृत स्कूलों में सिर्फ संस्कृत, वैदिक स्कूलों में सिर्फ वेद-पुराण का ज्ञान, ईसाई स्कूलों में ईसा मसीह की शिक्षा और शिशु मंदिर में श्लोक पढ़ाने पर कोई विरोध नहीं होता। तो मदरसों में इस्लामिक शिक्षा पर ही क्यों सवाल उठाए जाएं। हमारे मदरसे में सभी सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं, लेकिन मदरसों को क्या पढ़ाना है, इसके लिए बाध्य करना गलत है। 
- मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, अध्यक्ष, मदरसा दारुल उलूम फरंगी महल

राज्यों में अलग-अलग व्यवस्था

एमपी में 8वीं तक के मदरसों में सभी सब्जेक्ट कंपलसरी हैं, इसके बाद चॉइस है। बिहार में इंग्लिश, हिंदी और मैथ्स सभी सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं। गुजरात में मदरसों में दूसरे सब्जेक्ट की सिलेबस में बाध्यता नहीं है। छात्र इच्छानुसार दूसरे सब्जेक्ट ले सकते हैं। असम में भी मदरसों में सभी सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं, लेकिन वहां अरबी पढ़ना जरूरी रखा गया है। यूपी मदरसा शिक्षा परिषद में पिछले साल 4 लाख 45 हजार छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिनमें 4 लाख 15 हजार छात्र पास हुए।

इस्लामिक पढ़ाई जरूरी

"मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी और कंप्यूटर सहित सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं। मौलाना बनने के लिए भी छात्र को विदेश भी जाना पड़ता है, जिसके लिए दूसरे विषय जानना भी जरूरी है। इस्लामिक पढ़ाई नहीं होगी तो मदरसे का मकसद ही पूरा नहीं होगा।"
- मौलाना सैफ अब्बास, प्रिंसिपल, हौज-ए-अबुतालिब

"मदरसे भारत की हकीकत हैं। मदरसों के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम इसे वोट बैंक की राजनीति के रूप में नहीं देखते। यह मुद्दा मुसलमानों के सशक्तीकरण से जुड़ा है। सरकार समग्र विकास के प्रति कटिबद्ध है। सरकार इस्लामिक शिक्षण केंद्रों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मुख्य धारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल करने पर विचार करेगी।"
-मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय मंत्री (मुंबई में एक इफ्तार कार्यक्रम के दौरान)

        खबर साभार : नवभारतटाइम्स

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  1. मदरसों में अन्य सब्जेक्ट अनिवार्य करने का विरोध : 'मदरसे ही तय करें, क्या पढ़ाना है';राज्यों में अलग-अलग व्यवस्था
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