बच्चों ने स्कूल में दोबारा दूध ना पीने का किया फैसला, मिड डे मील भी नहीं खाया : दूध के खौफ ने बच्चों को स्कूल से किया दूर
लखनऊ : कैंट क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय आरए बाजार तोपखाना एवं बीसी बाजार में दूध पीने से बीमार हुए बच्चों में खौफ समा गया है। बुधवार को मिड डे मील के तहत उपलब्ध कराए गए दूध को पीने से बीमार हुए कुल 77 बच्चों में करीब 20 बच्चों ने ही गुरुवार को स्कूलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में गुरुवार को प्राथमिक के कुल 361 विद्यार्थियों में महज 70 बच्चे ही स्कूल पहुंचे।
अक्षय पात्र संस्था की ओर से उपलब्ध कराये गये दूध को पीकर माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में कक्षा छह से आठवीं तक के करीब 27 बच्चे बुधवार को बीमार हो गए थे। इनमें गुरुवार को केवल 12 स्कूल आए। दूसरी ओर प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से पांचवीं में 40 बच्चे बीमार थे, जिनमें महज छह बच्चे स्कूल पहुंचे। वहीं बीसी बाजार स्थित स्कूल में बीमार हुए 10 बच्चों में महज दो उपस्थित स्कूल पहुंचे। माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में छानबीन के लिए गुरुवार सुबह सिटी मजिस्ट्रेट, खंड शिक्षा अधिकारी एवं कैंट के सीईओ स्कूल पहुंचे और बच्चों से बातचीत की। कक्षा छह की छात्र तन्नू ने बताया कि अधिकारियों ने उनसे पूछा कि बच्चों ने अपने मन से दूध पीया था या फिर उन्हें अध्यापकों ने पीने के लिए बोला था। इसपर उसने बताया कि सभी बच्चों ने खुद से दूध लेकर पी थी।
अब नहीं पियेंगे दूध :
बच्चों में दूध का खौफ इस कदर समाया है कि उन्होंने दोबारा दूध पीने से इंकार कर दिया। कक्षा सात की छात्र बेबी ने कहा कि अब वह स्कूल में दोबारा कभी दूध नहीं पियेंगी। वहीं कक्षा आठ की छात्र कोमल, कक्षा सात की जन्नत, गुनगुन एवं मोनी समेत अन्य छात्रओं ने मिड डे मिल में दिये जाने वाले दूध को दोबारा पीने से मना कर दिया।
नहीं खाया मिड डे मिल :
स्कूल में गुरुवार को अक्षय पात्र की ओर से दिए गए मिड डे मील को छात्रों ने हाथ नहीं लगाया। बच्चों को खाने में राजमा और रोटी उपलब्ध कराई गई थी। प्रारंभ में 10 विद्यार्थियों ने खाना खाया, लेकिन अन्य बच्चों ने डर के कारण खाना खाने से इंकार कर दिया। वहीं शिक्षिकाओं का कहना है कि उन्होंने खाना चखा था। भोजन में कोई कमी नहीं थी।
स्कूल में पसरा सन्नाटा :
माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालय आरए बाजार परिसर में गुरुवार को सन्नाटा पसरा हुआ था। बच्चे अपनी कक्षाओं में बेहद शांत भाव से बैठे हुए थे। बच्चों के चेहरे पर खौफ का भाव स्पष्ट रूप से देखा गया। बातचीत करने पर बच्चों ने बताया कि बुधवार को दूध से बीमार हुए बच्चों का हाल देखकर वह भी डर गए हैं।
खबर साभार : दैनिकजागरण
कैंट स्थित स्कूल में बीमार हुए 65 बच्चों में 19 ही पहुंचे
लखनऊ : कैंट स्थित तोपखाना बाजार में कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से संचालित माध्यमिक एवं प्राइमरी पाठशाला में बुधवार को मिड-डे-मील में दूध पीने के बाद 77 से अधिक बच्चे बीमार हो गए थे। घटना के बाद से दोनों स्कूलों के बच्चों में दहशत है। एमडीएम भेजने वाली संस्था अक्षय पात्र ने गुरुवार को सब्जी रोटी भेजी थी, लेकिन बच्चों ने खाने से इनकार कर दिया। शिक्षकों के समझाने में कुछ ही बच्चे मिड-डे-मील लेने को तैयार हुए। हालांकि, ज्यादातर बच्चे टिफिन लेकर आए थे। उधर, बीमार हुए 65 बच्चों में 19 ही स्कूल पहुंचे।
दूध पीने के बाद हुए बीमार : मिड-डे-मील में दिया गया दूध पीने के बाद बच्चों के बीमार होने के मामले की जांच करने गुरुवार को सिटी मैजिस्ट्रेट शत्रोहन वैश्य स्कूल पहुंचे। इस दौरान कैंट के सीईओ एवीएस रेड्डी भी मौजूद रहे। सिटी मैजिस्ट्रेट ने बताया कि प्रारंभिक जांच में दूध पीने से ही बीमार होने की बात सामने आ रही है। हालांकि अभी एफएसडीए की रिपोर्ट आना बाकी है।
पराग और अक्षय पात्र को नोटिस : जिला प्रशासन की ओर से गुरुवार को अक्षय पात्र के एजीएम सुनील मेहता और पराग के जीएम दिनेश कुमार सिंह समेत तीन प्रिंसिपल विभा रानी, शोभना और रामफेर को नोटिस जारी कर पूरे प्रकरण पर 1 अगस्त तक स्पष्टीकरण मांगा है। दोनों प्रिंसिपल ने जवाब दे दिया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों ने दूध पीया था, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ। वहीं, एमडीएम वितरण के दौरान गुरुवार को अक्षय पात्र के क्वॉलिटी असेसमेंट सेल के दो अधिकारी भी मौजूद रहे।
विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरना शुरू किया
MDM के दूध से बच्चों के बीमार होने पर विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रमोहन ने कहा है कि इतनी बड़ी योजना शिक्षकों के जिम्मे छोड़ दी गई है। भारी मात्रा में दूध का इंतजाम करने के चक्कर में स्कूलों में पढ़ाई बाधित हो रही है। इसमें दूध माफिया भी हावी हो गए हैं और सिंथेटिक दूध पिलाने की शिकायतें भी मिली हैं। यदि वास्तव में मुख्यमंत्री को बच्चों की सेहत का खयाल है तो इससे शिक्षकों को मुक्त करें। बच्चों की मां के खाते में दूध का पैसा भेज दिया जाए। अपना दल के प्रदेश प्रवक्ता आरबी सिंह पटेल ने कहा है कि बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। बच्चों के बीमार होने की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई हो।
पूरे मामले की जांच चल रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है। रही बात समय की तो उसका हर हाल में पालन कराया जाएगा।
- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
शासनादेश दरकिनार, दूध-खाना एक साथ
सभी प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में बुधवार को बच्चों को दूध देने में शासनादेश की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। कैंट स्थित विद्यालय में बच्चों के बीमार होने की एक वजह यह भी हो सकती है। नियमानुसार सुबह 8:30 पर दूध और 9:30 पर मिड-डे-मील देना चाहिए। हालांकि आने-जाने का खर्च बचाने के लिए अक्षय पात्र खेल करने में जुटी है। इसके तहत एमडीएम के साथ ही 9:30 बजे दूध दिया जा रहा है। मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक दूध के तुरंत बाद खाने से भी तबियत खराब हो सकती है।
कनवर्जन कॉस्ट है मुद्दा : एमडीएम में प्राइमरी के बच्चे की कन्वर्जन कॉस्ट 3 रुपये 59 और जूनियर 5 रुपये 38 पैसे है। इतनी ही रकम में संस्था को एमडीएम और दूध दोनों देना है। यही कारण है कि अक्षय पात्र ने पहले दूध देने से इनकार कर दिया था। हालांकि दबाव के बाद दूध देना शुरू किया है।
खबर साभार : नवभारतटाइम्स
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