प्राथमिक कक्षाओं से ही भोजपुरी की पढ़ाई जरूरी : अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था प्राथमिक कक्षाओं से ही की जाए
वाराणसी : भोजपुरी को यदि सशक्त बनाना है तो यह जरूरी है कि उसके अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था प्राथमिक कक्षाओं से ही की जाए। भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए भोजपुरिया लोगों को ही संघर्ष करना पड़ेगा। यह विचार मंगलवार को काशी ¨हदू विश्वविद्यालय स्थित भोजपुरी अध्ययन केंद्र में जुटे विद्वानों ने गोल मेज वार्ता के तहत व्यक्त किया।
'मातृभाषाओं का महत्व (भोजपुरी के विशेष सन्दर्भ में)' विषयक आयोजित गोलमेज वार्ता में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. गदाधर सिंह (भोजपुरी के प्रसिद्ध सात्यिकार) वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा-बिहार ने कहा कि मातृभाषा का संबंध आत्मा से होता है। भोजपुरी भाषा कोमल होने के साथ ही लड़ाकू भी है। डा. जयकान्त सिंह 'जय' अध्यक्ष, भोजपुरी विभाग, वीआर अंबेडकर, बिहार विश्वविद्यालय, ने कहा कि भोजपुरी भाषा को रोजगार से जोड़ना होगा। यह केवल भ्रम है कि भोजपुरी या अन्य लोक भाषाओं के विकास से हिन्दी को नुकसान होगा। लोक भाषाओं के उत्थान से हिन्दी समृद्ध ही होगी। जरूरी यह है कि हमें मिलकर अंग्रेजी से संघर्ष करना होगा।
साहित्य अकादमी, दिल्ली के उपसचिव डा. ब्रजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भोजपुरी को प्राथमिक स्तर से पठन-पाठन में लाने की आवश्यकता है इससे भोजपुरी न केवल विकसित होगी बल्कि इस भाषा में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। वार्ता की अध्यक्षता प्रो. अवधेश प्रधान ने तथा अतिथियों का स्वागत केंद्र समन्वयक प्रो. सदानन्द शाही ने किया। इस अवसर पर प्रो. नर्वदेश्वर राय, प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्रो. वशिष्ठ अनूप, डा. अवधेश दीक्षित, डा. राकेश रंजन, डा. विकास यादव, धीरज गुप्ता, उषा यादव आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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