कमजोर छात्रों को करना चाहिए फेल, स्कूल न आने वालों के लिए घर में ही हो शिक्षा की व्यवस्था : देश में स्कूली शिक्षा का एक बोर्ड व एक कोर्स हो, एससीईआरटी निदेशालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
लखनऊ। देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कैसी हो इस पर मंथन शुरू हो गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) निदेशालय में बृहस्पतिवार को आयोजित बैठक में विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि कमजोर छात्रों को फेल करने की व्यवस्था होनी चाहिए और मूल्यांकन के स्थान पर पहले की तरह अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा होनी चाहिए। कोई बच्चा स्कूल आने से यदि वंचित रह जाता है और आ पाने में सक्षम नहीं है तो उसे घर पर ही शिक्षा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि प्राइमरी में दो भाषा और उच्च प्राइमरी में तीन भाषाओं में पढ़ाई की व्यवस्था हो। अंग्रेजी को दूसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि परिषदीय स्कूलों के बच्चों का अंग्रेजी में ज्ञान बेहतर हो। साथ ही स्थानीय भाषा में भी बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उन्हें आसानी से समझ में आ जाए। छात्राओं को पढ़ाने के लिए महिला शिक्षिकाओं की नियुक्ति होनी चाहिए। शिक्षकों को समय-समय पर यह प्रशिक्षण दिया जाए कि वे बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे।
शिक्षकों का समय-समय पर टेस्ट लेने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उनके ज्ञान का पता चल सके। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का अनिवार्य रूप से हेल्थ कार्ड बनाया जाना चाहिए। पूर्व की तरह रेड क्रास को फिर से जीवित करना भी ठीक रहेगा। बैठक में एससीईआरटी निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह, एनसीईआरटी की विशेषज्ञ सरोज के साथ शिक्षाविद, अभिभावक, शिक्षा अधिकारी समेत 140 लोग शामिल हुए। इनके कुल 11 ग्रुप बनाए गए। सभी ग्रुपों से कुल 20 सुझाव आए।
खबर साभार : अमरउजाला/दैनिकजागरण
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