नहीं होगा 897 शिक्षामित्रों का समायोजन ! सपा सरकार द्वारा शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक बनाने का दिखाया गया सपना अब धूमिल होता आने लगा नजर
कानपुर : सपा सरकार द्वारा शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक बनाने का दिखाया गया सपना अब धूमिल होता नजर आ रहा है। आनन फानन में शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के पदों पर की जा रही समायोजन की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट ने रोक दी है। शहर के प्राइमरी स्कूलों में तैनात 2375 शिक्षामित्रों में से 897 शिक्षामित्रों का समायोजन अभी शेष रह गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद अब इन शिक्षामित्रों का समायोजन नहीं हो सकेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बने शिक्षक भर्ती के नियमों को ताक पर रखकर किये जा रहे शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश दे दिये हैं। महज वोट बैंक के लालच में प्रदेश सरकार करीब एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों को गलत ढ़ंग से सहायक शिक्षक बनाने की प्रक्रिया कर रही थी। इसमें अकेले कानपुर नगर में 2375 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया जाना था। पहले चरण में 773 शिक्षामित्रों का बीते वर्ष अगस्त माह में समायोजन करके सहायक शिक्षक बनाया गया। इनमें से अधिकांश का कई माह का वेतन भी जारी कर दिया गया। इसके बाद दूसरे चरण में 1602 शिक्षामित्रों का समायोजन होना था। इनमें दो बार हुई काउंसलिंग में पहली बार 313 और दूसरी बार 392 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया गया। इन 705 शिक्षामित्रों को समायोजित करने के बाद शेष बचे 897 के लिये स्थान ही रिक्त नहीं बचा। अभी बेसिक शिक्षा विभाग इन शेष बचे शिक्षामित्रों के समायोजन के लिये जगह बना ही रहा था कि तभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया।
प्रमोशन करके पद सृजन की थी तैयारी
कानपुर: शिक्षामित्रों के समायोजन के लिये प्रदेश सरकार ने कई वर्षो से लंबित पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू कर दी। पहले पांच की जगह चार फिर चार की जगह तीन वर्ष अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षकों को पदोन्नत किया गया ताकि शिक्षामित्रों के लिये पद बनाए जा सके। शहर में रिटायरमेंट और पदोन्नति के बाद भी महज 200 पद ही रिक्त बच रहे थे। पद रिक्त न होने की समस्या से सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य जिले भी जूझ रहे थे।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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